लखनऊ. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने घंटाघर पर नागरिकता संसोधन बिल (सीएए) के विरोध में चल रहे धरने को खत्म कराने की मांग वाली जनहित याचिका को सुनने से यह कहकर इंकार कर दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दे रखा है कि सीएए से संबधित याचिकाएंवे नहीं सुनेंगे। तत्पश्चात कोर्ट ने याची द्वारा याचिका वापस लिए जाने के आधार पर उसे खारिज कर दिया है।
यह आदेश जस्टिस पंकज कुमार जायसवाल और जस्टिस करुणेश सिंह पवार की बेंच ने शिशिर चतुर्वेदी की ओर दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया। याचिका पर सुनवाई होती इससे पहले ही कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा इंडियन यूनियन ऑफ मुस्लिम लीग की याचिका पर गत 22 जनवरी को दिये निर्देशों का जिक्र करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने देश के सभी उच्च न्यायालयों को सीएए के सम्बंध में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई न करने को कहा है।
सीएए से सम्बंधित याचिकाएं फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन हैं। हालांकि कोर्ट ने वर्तमान याचिका के मेरिट पर कोई टिप्पणी भी नहीं की है। याचिका में तत्काल धरना खत्म करने का आदेश राज्य सरकार को देने की मांग की गई थी। साथ ही कानून व्यवस्था को बिगाड़ने वाले प्रदर्शनकारियों के विरुद्ध उचित कार्रवाई किये जाने की भी मांग की गई थी।
14 दिन से घंटाघर पर धरने पर बैठी हैं महिलाएं
नागरिकता संशोधन कानून(सीएए)के खिलाफ दिल्ली की शाहीन बाग की तर्ज पर लखनऊ में 19 जनवरी कोशुरू हुआ महिलाओं का प्रदर्शन अभीभी जारी रहा। हाथों में तिरंगा लेकर प्रदर्शनकारी महिलाओं ने संविधान बचाओ-देश बचाओ की शपथ ली। गूंजते देशभक्ति गीतों के बीच महिलाओं ने केंद्र सरकार से सीएए व एनआरसी को खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जबतक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा खुले आसमान के नीचे अनिश्चितकालीन प्रदर्शन जारी रहेगा।
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