लिपुलेख, कालापानी व लिम्पियाधुरा पर भारत-नेपाल के बीच ठनी है। वहीं, कोरोनावायरस के प्रसार के लिए नेपाल भारत को जिम्मेदार ठहरा रहा है। इन दोनों मुद्दों पर दैनिक भास्कर ने नेपाल के पूर्व मंत्री मोहम्मद इश्तियाक राई से बातचीत की। इश्तियाक राई 19 माह 15 दिन नेपाल सरकार में जनता समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधि के तौर पर रहे। सरकार में वह शहरी विकास मंत्री थे, साथ ही उनकी पार्टी के दो अन्य सदस्य भी अलग-अलग विभागों के मंत्री रहे। बीते तीन महीने पहले ही उनकी पार्टी सरकार से अलग हुई है। जैसा उन्होंने बताया वैसा ही लिखा गया है...
भारत हो या नेपाल लॉकडाउन की एक जैसी स्थिति
पूर्व मंत्री मोहम्मद इश्तियाक राई बताते हैं- "भारत हो या अन्य देश लॉकडाउन की एक जैसी स्थिति है। नेपाल में छह फेज में लॉकडाउन लग चुका है। यह कितना कारगर होगा, यह भविष्य की बताएगा। यहां जरूरी सेवाएं चल रही हैं। मास्क कम्पलसरी किया गया है। बिना मास्क के सार्वजनिक स्थानों पर नहीं जाने दिया जाता है। हालांकि, कोई जुर्माना नहीं है। लेकिन पुलिस नियम तोड़ने वालों को अपनी तरीके से सजा देती है। लॉकडाउन के दौरान जरूरी सेवाओं से जुड़े लोगों को पास की कोई आवश्यकता नहीं है। बाकी अन्य लोगों को पास की जरूरत होती थी। उसके लिए सिस्टम बनाया गया था।"
मनरेगा की तरह यहां भी गांवों में दिया जा रहा काम
"भारत में जैसे ग्राम सभाएं हैं, वैसे ही नेपाल में पालिकाएं हैं। यहां फूड चेन का जिम्मा पालिकाओं ने उठा रखा है। कहीं-कहीं दिक्कत है, लेकिन वह भी जल्द ही ठीक होगा। 5 लोगों के परिवार तक 15-15 किलो चावल व गेहूं व बाकी जरूरी सामान दिया जा रहा है। जिस तरह से भारत में मनरेगा है, उसी तरह से यहां भी पालिकाओं द्वारा ग्रामीणों को काम दिया जा रहा है। लेबर मिनिस्ट्री द्वारा बहुत पहले ही कानून बनाया गया था कि ग्रामीणों के लिए गांव में ही काम दिया जाए। वही अभी भी चला आ रहा है। पाकिस्तान और भारत से अभी नेपाल की स्थिति बेहतर है। फ्रंट लाइन वॉरियर्स को 25 लाख का बीमा कवर दिया गया है। उनकी सुरक्षा को लेकर सरकार संवेदनशील है।"
अर्थव्यवस्था चौपट, सरकार ने नहीं की फाइनेंशियल मदद
"अर्थव्यवस्था की बात करें तो नेपाल में पर्यटन एकदम खत्म है। नेपाल की अर्थव्यवस्था देखी जाए तो जो लोग यहां से खाड़ी देशों में काम करने जाते हैं। साथ ही जो भारत या अन्य देशों में हैं। उन पर देश की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है। ऐसे तकरीबन 40 से 50 लाख लोग हैं। इनमें से 20 से 25 लाख लोग लॉकडाउन के बाद वापस हो जाएंगे, ऐसी संभावना है। ऐसे में अन्य देशों की तरह नेपाल की अर्थव्यवस्था भी खराब हो गयी है। जिसका असर आम पब्लिक पर भी है।
लेकिन अभी कोई फाइनेंशियल सपोर्ट सरकार की तरफ से नही किया गया है। तराई से लेकर पहाड़ तक पर रहने वाले लोग परेशान हैं। शहरों से पलायन हुआ है। शहर के शहर खाली हो गए हैं। शुरुआती 15 से 20 दिन तो ऐसे ही निकल गए। फिर सरकार हरकत में आयी। उसने अपील की जो लोग निकलना चाहते हैं वह अपना रजिस्ट्रेशन करवाएं। उसके बाद प्रवासी मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए बसें वगैरह लगाई गई।"
प्रवासियों के लिए भी फूड सिक्योरिटी
"इंडिया में फूल सिक्योरिटी है, लेकिन जो परमानेंट है उनके लिए यह व्यवस्था है। नेपाल में परमानेंट के साथ साथ जो प्रवासी हैं, उनके लिए भी फूड सिक्योरिटी है। बैंक ने ब्याज में 2% की छूट दी है। आगे और भी बढ़ाने की योजना है। ईएमआई में 4 महीने की छूट दी गईहै। जहां तक मेरी बात है मैं 24 मार्च जबसे लॉकडाउन शुरू हुआ तब से 3 से 4 बार राहत सामग्री बांटने के लिए निकला। हमने एक हेल्पलाइन जारी किया था। जिस पर कॉल करने वाले लोगों को मदद टीम कर रही है।"
भारत से आए 99 फीसदी संक्रमित मिले
"नेपाल में जो कोरोना संक्रमित हैं, उनमें 99% भारत से आए लोग हैं। जबकि, तीन लोग सिर्फ चीन, इटली जैसे देशों से आए और संक्रमित पाए गए हैं। नेपाल के तराई एरिया में संक्रमण सबसे ज्यादा फैला है। वह भी जो इलाके भारत की सीमा से जुड़े हुए हैं। भारत से जो लोग आए हैं, ज्यादातर उन्ही लोगों में संक्रमण मिलेगा। चीन से जुड़े इलाकों में संक्रमण न के बराबर है। नेपाल में अभी तक 4 डेथ संक्रमण से हुई है। जिसमें एक डेथ भारत के श्रावस्ती जिले से लगी नेपाल सीमा में बांके जिला में भगवानपुर में हुई है।"
जनता के दबाव में सरकार ने लिपुलेख मुद्दा उठाया
"नेपाल में अभी भी संसद चल रही है। लेकिन, इस बार कायदे बदले हुए हैं। 2 मीटर की दूरी पर हम लोग बैठ रहे हैं। रोज हमारा तापमान मापा जा रहा है। 8 से 10 सांसद इस वक्त अलग अलग दिक्कतों की वजह से नही आ पा रहे हैं जबकि बाकी सांसद रोज आ रहे हैं। लिपुलेख विवाद भारत की तरह ही नेपाल में भी सुर्खियों में बना हुआ है। आपको बता दूं कि लिपुलेख से नेपालियों का जुड़ाव है। इसको लेकर कई जगह लॉक डाउन के बीच आम जनता ने प्रदर्शन वगैरह भी किया गया। इसका समाधान भी यही है की आपस मे बातचीत की जाए। आपको बता दूं कि जनता के दबाव के बाद ही सरकार ने इस पर कदम उठाए।"
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2AuXyxz
via IFTTT
0 Comments