उत्तर प्रदेश में दो साल से लंबित69000 सहायक अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया एक बार फिर लटक गई है। बुधवार से भर्ती को लेकर काउंसलिंग शुरू होनी थी, लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी। अब यूजीसी के अध्यक्ष से इस मामले में राय लेकर आगे फैसला लिया जाएगा। हाईकोर्ट ने आदेश दिया हैकि अभ्यर्थी विवादित प्रश्नों पर आपत्तियों को एक सप्ताह के अंदर राज्य सरकार के समक्ष प्रस्तुत करें। यूजीसी के चेयरमैन को पत्र लिखकर सारे विवादित प्रश्नों पर एक्सपर्ट ओपिनियन लिया जाएगा।कोर्ट मेंमामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
दरअसल,सूबे के परिषदीय विद्यालयों में 69 हजार सहायक अध्यापकों की भर्ती के लिए 5 दिसंबर 2018 को शासनादेश जारी किया गया था।6 दिसंबर से 20 दिसंबर 2018तक ऑनलाइन आवेदन लिए गए। इसके बाद छह जनवरी 2019 को राज्य के 800 परीक्षा केंद्रों पर 4,10,440 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी। 21 हजार 26 परीक्षार्थी गैर हाजिर रहे थे।भर्ती विज्ञापन में न्यूनतम कटऑफ अंक की बात तो की गई थी, लेकिन कटऑफ कितने प्रतिशत होगा, इसका जिक्र शासनादेश में नहीं किया गया था। लिखित परीक्षा के अगले दिन सात दिसंबर 2019 को न्यूनतम कटऑफ की घोषणा की गई। इसके तहत सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में से 97 (65 फीसदी) और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थियों को 150 में 90 अंक (60 फीसदी) लाने होंगे।
वहीं, सितंबर 2018 में 68,500 शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सामान्य व ओबीसी वर्ग के लिए 45 और आरक्षित वर्ग के लिए 40 फीसदी कटऑफ अंक तय हुआ था। अभ्यर्थियों का एक वर्ग पुराने कटऑफ अंक लागू करने की मांग कर रहा था तो वहीं कई अभ्यर्थी शासन की ओर से जारी कटऑफ अंक के पक्ष में थे। इस बात को लेकर मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा। छह मई को कोर्ट ने राज्य सरकार के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तीन माह के भीतर भर्ती प्रक्रिया पूर्ण करने का आदेश दिया था। लेकिन, अब एक बार फिर से मामला फंस गया है।
इस बार अमित त्रिपाठी व अन्य अभ्यर्थियों ने आंसरशीट में चार प्रश्न पत्रों को आधार बनाकर कोर्ट ने याचिका दाखिल की थी। दरअसल, कोर्ट के निर्देश परआठ मई 2020 को सरकार ने आंसर शीट जारी किया। जिसके बाद कई अभ्यर्थी जो पूर्व में पास थे, वे एक या दो नंबर से फेल हो गए। ऐसे अभ्यर्थियों नेचार उत्तरों पर आपत्ति जताई है। याचियों का कहना है कि, आपत्ति के संबंध में सक्षम अधिकारियों ने कोई एक्शन नहीं लिया, इसलिए उन्होंने कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद8 मई के बाद से सरकार द्वारा कराई गई सभी प्रक्रिया पर रोक लग गई है। कोर्ट के इस फैसले के बाद इस मामले मेंआंसरशीट, संशोधित आसंरशीट, कॉउंसलिंग प्रक्रिया समेत सभी शून्य यानी उनका कोई अर्थ नहींरह गया है। इससे पहले 27 से 31 मई के बीच आवेदनों की जांच के बाद ऑनलाइन प्रोसेसिंग कर वेबसाइट पर सूची अपलोड की गई थी। वहीं, 3 से 6 जून के बीच जिलों में काउंसलिंग कर चयनित शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिया जाना था।कोर्ट मेंमामले की अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।
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