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गंगा दशहरा पर श्रद्धालुओं से गुलजार हुई संगम की रेती, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने साधु संतों के साथ गंगा में लगाई डुबकी

68 दिनों के देशव्यापी लॉकडाउन के बाद आज यानि सोमवार से अनलॉक का पहला चरण शुरू हुआ है। इस दौरान बाजार, बस-ऑटो, शॉपिंग कॉम्पलेक्स व होटलों को खोल दिया गया है। सिर्फ रात 9 बजे से सुबह पांच बजे तक नाइट लॉकडाउन जारी रहेगा। आठ जून से मठ-मंदिर व अन्य धार्मिक स्थल भी खुल जाएंगे। लेकिन गंगा दशहरा पर्व पर सोमवार को संगमनगरी प्रयागराज में गंगा-यमुना व अदृश्य सरस्वती में आस्था की डुबकी लगाने के लिए तमाम श्रद्धालु पहुंचे। स्नान-ध्यान और दीपदान, अस्थि विसर्जन व पूजा आरती आरंभ होने से संगम नगरी फिर से गुलजार हो गई है।

सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मां गंगा का स्वर्ग से पृथ्वी पर अवतरण हुआ था। जिसे गंगा दशहरा के पर्व के रूप में मनाते है। गंगा दशहरा पर गंगा स्नान से सभी पापों का क्षय होता है और अक्षय पुण्य की प्रप्ति होती है। गंगा स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करने से पापों से मुक्ति मिलती है। मोक्ष की कामना के साथ सोमवार सुबह से ही संगम तट पर लोगों ने गंगा नदी में डुबकी लगाई। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि ने साधु संतों के साथ स्नान किया। संगम तट पर महिलाएं और युवतियां रेती से शिवलिंग बनाती और पूजती रहीं।

संगम में स्नान करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष।

इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का भी लोग ख्याल रख रहे हैं। तमाम लोग मास्क भी लगाए हुए थे। तीर्थपुरोहित बड़का गुरु ने बताया कि संगम पर अब अस्थि विसर्जन व पिंडदान के लिए भी लोग आ रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी कड़ाई के साथ पालन कराया जा रहा है। अस्थि विसर्जन के दौरान भी नावों से सिर्फ दो लोग ही दूरी बनाकर संगम की धारा में जा रहे हैं। पिंडडान और पूजा के दौरान भी सामूहिकता से बचने की पूरी कोशिश की जा रही है।

संगम में स्नान करता श्रद्धालु।


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ये तस्वीर प्रयागराज की है। यहां संगम तट पर सोमवार को श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान किया। उसके बाद आरती, दीपदान व दान किया।


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