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आठ पुलिस वालों की हत्या से लेकर गैंगस्टर विकास दुबे के अंत तक, जानें बिकारु कांड की 174 घंटे की पूरी कहानी

उज्जैन के महाकाल मंदिर में सरेंडर करने के बाद विकास खुद को सुरक्षित समझ रहा था लेकिन कानपुर में घुसते ही उसकी गाड़ी पलट गई और भागने के प्रयास में उसका एनकाउंटर कर दिया गया। पुलिस के मुताबिक घटना लगभग 6.30 बजे की है। दैनिक भास्कर आपको बता रहा है कि कैसे 174 घंटे में पुलिस ने गैंगस्टर विकास और उसके साथियों को ढेर किया।

क्या है बिकरुकांड

  • 2 से 3 जुलाई की रात 12.30 के आसपासकानपुर के चौबेपुर थाना इलाकेमें बिकरू गांव मेंपुलिस टीम विकास को पकड़ने के लिए जाती है। इसकी जानकारी गैंगस्टर विकास को पहले से होती है। वह अपने साथियों के साथ पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाता है। इसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो जाते हैं।

7 घंटे बाद 3 जुलाई को दो बदमाश मुठभेड़ में ढेर, दो सिपाही घायल

  • 3 जुलाई की सुबह 7 बजे की है। यहां पुलिस को सूचना मिलती है कि दो बदमाश आसपास के जंगलों में है। पुलिस कॉम्बिंग करती है और अतुल दुबे के साथ उसके साथी प्रेम शंकर पांडेय को मुठभेड़ में मार गिराती है। इसमें दो सिपाही भी घायल होते हैं।

शूटआउट के 52 घंटे बाद 5 जुलाई को फिर मुठभेड़, दयाशंकर उर्फ कल्लू गिरफ्तार

  • 5 जुलाई को सुबह 4 बजे विकास दुबे के साथशूटआउट में शामिल रहा दयाशंकर उर्फ कल्लू को थाना कल्याणपुर पुलिस मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार करती है। इसी दिनविकास के ऊपर इनामी राशि बढ़ा कर एक लाख कर दी जाती है।

126 घंटे के बाद8 जुलाई को विकास का शूटर ढेर, दूसरे को गोली लगी

  • 8 जुलाई को सुबह 7 बजेहमीरपुर जिले के मौदहा थाना क्षेत्र में पुलिस को सूचना मिलती है किविकास का दायां हाथअमर दुबे इस इलाके मेंछुपा है। इसके बाद पुलिस से उसकी मुठभेड़ होती है,और उसे ढेर कर दिया जाता।इसके एक घंटे बाद8 बजे कानपुर में चौबेपुर पुलिस श्यामू बाजपई को मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार करती है।

150 घंटे बाद 9 जुलाई को दो बदमाश पुलिस ने फिर किये ढेर

  • 9 जुलाई को सुबह 7 बजे फरीदाबाद से गिरफ्तार किए गए प्रभात मिश्रा एसटीएफ कोकानपुर में चकमा देकर भागने का प्रयास करता है औरसाथ ही पुलिस पर हमला करता है। बचाव में एसटीएफ जवाबी कार्रवाई करते हुए ढेर कर देती है। इटावा में विकास का एक और साथी बउवा दुबे भी पुलिस मुठभेड़ में मारा जाता है।

174 घंटेबाद10 जुलाई को पुलिस ने गैंगस्टर विकास को भी कर दिया ढेर

  • 10 जुलाई को सुबह 6.30 बजेयूपी एसटीएफ की टीम विकास को उज्जैन से गिरफ्तार कर कानपुर ले जा रही थी। लेकिन शहर से 17 किमी पहले बर्रा थाना इलाके में सुबह 6:30 बजे काफिले की एक कार पलट गई। विकास उसी गाड़ी में बैठा था। हादसे के बाद उसने पुलिस टीम से पिस्टल छीनकर हमला करने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में वह बुरी तरह जख्मी हो गया। उसे सीने और कमर में दो गोली लगीं। इसके बाद उसे अस्पताल ले जाया गया। जहां उसे सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर मृत घोषित कर दिया।


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विकास दुबे शुक्रवार सुबह कानपुर ले जाते समय पुलिस एनकाउंटर में मारा गया।


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