Amazon

सीओ-एसओ की आपसी खींचतान में गई आठ पुलिसकर्मियों की जान, नेताओं से लेकर वरिष्ठ पुलिस अधिकारी तक सवालों के घेरे में  

कानपुर के बिकरु गांव में हुई मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के आरोपी विकास दुबे की तलाश में पुलिस की टीमें जुटी हुई हैं। अब इस पूरे मामले में पुलिस अफसरों की संलिप्तता साफ नजर आ रही है। बुधवार को पुलिस ने इस मामले में कानपुर के चौबेपुर थाने के पूर्व थानेदार विनय तिवारी और एक दारोगा को गिरफ्तार कर लिया है। दोनों पर आरोप है कि इन्होंने पुलिस दबिश की जानकारी विकास दुबे को लीक की।

पूरे प्रकरण के पीछे पुलिस की आपसी पार्टीबंदी
विकास दुबे प्रकरण के बाद से पत्र और ऑडियो वायरल हो रहे हैं और पुलिस महकमे में तरह-तरह की चर्चाओं का दौर जारी हैं। आधिकारिक तौर पर कोई कुछ भी कहने से बच रहा है, लेकिन भीतरखाने पुलिस विभाग में भी यह चर्चा है कि इस पूरे प्रकरण के पीछे पुलिस की आपसी पार्टीबंदी है। कानपुर शूटआउट में दिवंगत सीओ देवेंद्र मिश्रा की सामने आई चिट्‌ठी और वायरल वीडियो से यह तो साफ है कि कानपुर की पुलिस खेमों में बंटी हुई थी। इस तनातनी की तह में जाने पर जाने में कई चौंकाने वाली बातें सामने आ रही हैं।

विकास दुबे प्लाटिंग, खनन, अवैध वसूली के आपराधिक नेटवर्क पर काबिज था और उसे लंबे समय से राजनीतिक और पुलिस अफसरों का संरक्षण है। जिले के चौबेपुर, बिठूर, बिल्हौर और शिवली में पिछले कुछ सालों से बड़े पैमाने पर खनन हो रहा है। कहा जाता है कि यह खनन जिले के दो सत्ताधारी विधायकों के संरक्षण में होता है और विकास दुबे अवैध खनन के इस पूरे धंधे का सुपरविजन करता है। स्थानीय लोगों का दबी-जबान से यहां तक कहना है कि स्थानीय थाने पर विकास के प्रभाव को कम करने के लिए थानों का परिसीमन तक बदला गया। पहले विकास का गांव शिवली थाने के तहत आता था, लेकिन बाद में वह चौबेपुर में लगने लगा। लेकिन विकास ने चौबेपुर थाने में भी अपनी पकड़ बना ली।

विकास के खास साथी जय बाजपेई के साथ कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव तिवारी।- फाइल फोटो

अब मौजूदा घटनाक्रम को समझने के लिए जनवरी 2019 में चलते हैं। उस समय आईपीएस अनंत देव कानपुर के कप्तान का चार्ज संभालते हैं। उन्होंने रूटीन में जिले के बड़े गैंगस्टरों की कुंडली खंगालनी शुरू की। तब चौबेपुर, बिठूर, बिल्हौर और शिवली थानों में खनन से संबंधित वसूली में विकास का नाम सामने आया था। यहां तक सब कुछ पुलिस के नियमित कार्यकलाप का हिस्सा लगता है। लेकिन, 2019 में ही विनय तिवारी चौबेपुर थाने के इंचार्ज बन जाते हैं। चौबेपुर थाने में ही विकास दुबे का गांव है। सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन एसएसपी अनंत देव तिवारी से विनय तिवारी के अच्छे संबंध रहे हैं। हालांकि इसकी वजह यह भी बताई जाती है कि विनय तिवारी की चित्रकूट में तैनाती रही है और अनंतदेव चित्रकूट में कप्तान के रुप में तैनात रहे हैं। हालांकि वजह चाहे जो रही हो लेकिन कानपुर शूट आउट के प्रकरण में यह नियुक्ति भी जांच के दायरे में है।

मृत सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र।- फाइल फोटो

साल 2019 में ही देवेंद्र मिश्रा कानपुर में बतौर सीओ पहुंचते हैं। सिपाही से सीओ तक पहुंचने वाले देवेंद्र मिश्र महकमे के तिकड़मों से वाकिफ थे और जल्द ही समझ गए कि चौबेपुर के एसओ विनय तिवारी को उच्च स्तर से संरक्षण है। फिलहाल जो चिट्‌ठी और ऑडियो वायरल है, उससे साफ है कि देवेंद्र मिश्र ने विनय तिवारी की तत्कालीन एसएसपी से कई मामलों में शिकायत की थी। एक वायरल ऑडियो में एसएसपी अनंतदेव, विनय तिवारी और देवेंद्र मिश्र कान्फ्रेंस काल पर हैं। हालांकि, इसमें एसएसपी एसओ विनय को सीओ को संतुष्ट करने और ऐसा न करने पर कार्रवाई की बात करते हैं। इसके अलावा विनय तिवारी और विकास दुबे के बीच मिलीभगत को लेकर लिखी गई सीओ की चिट्‌ठी का रिकार्ड में न होना भी अपने आप में अजीब है। इन्हीं सब बातों के चलते कानपुर के तत्कालीन एसएसपी पर भी सवाल उठ रहे हैं। शायद यही वजह है कि बतौर एसटीएफ डीआईजी कानपुर शूटआउट की जो जांच वह कर रहे थे,वह उनसे वापस ले ली गई है। जांच वापस लेने के साथ ही उनका तबादला भी डीआईजी स्टाफ से डीआईजी पीएसी,मुरादाबाद कर दिया गया है।

विकास के दुश्मन चचेरे भाई अनुराग की भी है भूमिका
सीओ देवेंद्र और विनय के बीच तनातनी की एक वजह यह भी बताई जाती है कि थी दोनों के अलग-अलग खेमों के राजनीतिक लोगों से संबंध थे। सूत्रों के मुताबिक चौबेपुर एसओ विनय तिवारी विकास दुबे का करीबी था। वहीं, सीओ देवेंद्र मिश्रा को विकास के चचेरे भाई अनुराग दुबे का खास माना जाता था। अनुराग 2017-18 तक विकास के साथ ही काम करता था, लेकिन एक जमीन के विवाद के बाद दोनों अलग-अलग हो गए। एक दूसरे पर हमला भी करवाया। इसी एक मामले में विकास जेल भी गया था। सूत्रों के अनुसार, फिलहाल अनुराग दुबे एक बार फिर अपने मददगार राजनीतिज्ञों और पुलिस वालों की मदद से विकास पर पुलिस का शिकंजा कसवाना चाह रहा था। वहीं, एसओ विनय तिवारी और चौबेपुर थाने का अन्य स्टाफ विकास दुबे का करीबी था।

कानपुर शूटआउट में मौके से भागने और विकास दुबे को मुखबिरी करने के आरोप में दाेनों दरोगाओं को गिरफ्तार कर लिया गया है।

अब होती है राहुल तिवारी की एंट्री
राहुल तिवारी वही शख्स है, जिसकी शिकायत पर पुलिस टीम विकास दुबे को पकड़ने गयी थी और वहां हुई फायरिंग में 8 पुलिसकर्मी मारे गए थे। राहुल तिवारी से विकास का विवाद इसी साल मार्च में हुआ था। आरोप है कि विकास के लोगों ने राहुल की पिटाई की थी और उसकी मोटरसाइकिल छीन ली थी। लेकिन बाद में पंचायत में इस मामले में समझौता हो गया था। स्थानीय लोगों का कहना है कि समझौते के बाद अनुराग दुबे इस प्रकरण में आ गए और उन्होंने राहुल को विकास के खिलाफ शिकायत करने को कहा। सीओ देवेंद्र मिश्र ने भी विकास के खिलाफ एसएसपी से शिकायत करने को कहा। राहुल ने एसएसपी कार्यालय में शिकायत की, लेकिन लाकडाउन के चलते कुछ नहीं हुआ। इसके बाद अनंतदेव तिवारी का ट्रांसफर हो गया। राहुल को एक बार फिर नए आए एसएसपी दिनेश कुमार प्रभु के पास भेजा गया। इस बार एसएसपी ने शिकायत दर्ज करने के निर्देश दे दिए।

थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद सीओ देवेंद्र मिश्रा ने चौबेपुर एसओ विनय तिवारी पर दबाव बनाना शुरु किया कि वह विकास दुबे के खिलाफ एक्शन लें। हालांकि, इस दौरान एसओ विनय तिवारी यह कोशिश करते रहे कि राहुल शिकायत वापस ले ले। इसके लिए पहले हल्का इंचार्ज राहुल तिवारी को लेकर विकास के घर पहुंचा। लेकिन, वहां बात बनने के बजाय मारपीट हो गई। इसके बाद फिर एसओ विनय तिवारी भी राहुल को लेकर विकास दुबे के घर गए,लेकिन बात नहीं बनी।

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, इस बीच सीओ देवेंद्र मिश्रा ने विनय दुबे के आपराधिक इतिहास और एसओ विनय तिवारी से उसके संबंधों का पूरा काला चिट्‌ठा नए एसएसपी के सामने रख दिया। इसके बाद कप्तान कार्यालय से सीओ देवेंद्र मिश्रा को विकास दुबे के घर पर दबिश के निर्देश दिए गए। इसके बाद ही 2 जुलाई की रात को सीओ देवेंद्र मिश्रा पांच थानों की फोर्स के साथ बिकरू गांव दबिश के लिए पहुंचे थे।

विकास दुबे के शुभचिंतकों ने कहा था- भागना मत एनकाउंटर हो जाएगा
एसओ चौबेपुर विनय तिवारी इस आरोप में गिरफ्तार किए जा चुके हैं कि उन्होंने इस दबिश की सूचना लीक है। बताते हैं कि दबिश की सूचना मिलने के बाद विकास दुबे ने अपने शुभचिंतकों को फोन घुमाना शुरु किया था। जिसमें ज्यादातर ने उसे सलाह दी थी कि भागना मत नहीं तो एनकाउंटर हो जाएगा, घर पर ही पुलिस से बातचीत करना।

लेकिन विकास के घर दबिश के लिए पहुंची पुलिस टीम के रास्ते में जेसीबी खड़ी थी। जिसकी वजह से पुलिस टीम अलग अलग ग्रुप में हो गयी। नए लड़के आगे ही रहे । जबकि चौबेपुर एसओ सरीखे अनुभवी लोग पीछे ही रहे । सीओ देवेंद्र मिश्र जिधर जेसीबी का मुंह था उस घर की तरफ चले गए। जबकि दरोगा अनूप विकास के घर में चले गए। सूत्रों का कहना है कि विकास अपने घर के अहाते में ही था और वह वहां डील करने के उद्देश्य से बैठा था। लेकिन एकाएक कहासुनी होने के बाद पुलिस टीम पर फायरिंग शुरु हो गई। हालांकि, पुलिस का कहना है कि दबिश के लिए टीम के पहुंचते ही चौतरफा ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू हो गयी, जिसमे 8 पुलिसकर्मियों की जान चली गयी।

जांच पूरी होने तक कुछ भी कहना जल्दबाजी: आईजी मोहित अग्रवाल

आईआईजी रेंज कानपुर मोहित अग्रवाल ने कहा कि अभी जांच हो रही है जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसी आधार पर कार्रवाईभी की जाएगी।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
यह तस्वीर कानपुर के बिकरू गांव स्थित गैंगस्टर विकास दुबे के घर की है। शूटआउट के बाद प्रशासन ने बंकर और असलहे होने की सूचना पर विकास के घर को ढहा दिया था। मौके से बंकर और विस्फोटक बरामद हुए थे।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3gH0vuM
via IFTTT

Post a Comment

0 Comments