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बिठूर थाने के घायल सिपाही अजय ने कहा- घर के पीछे से घेराबंदी करना चाहती थी पुलिस, एक टॉर्च की रोशन पड़ी फिर तीन तरफ से बरसने लगी मौत

उत्तर प्रदेश में कानपुर के बिकरू गांव में बीते दो जुलाई को हुए शूटआउट की चर्चा पूरे देश में है। सीओ समेत आठ पुलिस वालों की हत्या कर पांच लाख का इनामी बदमाश विकास दुबे फरार है। उसके अपने तीन साथी अब तक पुलिस की मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं। उधर, शूटआउट में घायल पुलिसकर्मी भी इलाज के बाद स्वस्थ हो रहे हैं।बुलंदशहर में डिबाई कस्बे के रहने वाले सिपाही अजय कश्यप कोअस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया है। वे अपने घर लौटे हैं। उनकी तैनाती बिठूर थाने में है। शूटआउट के प्रत्यक्षदर्शीसिपाही अजय ने घटना वाली रात का पूरा घटनाक्रम से पर्दा उठाया है। उन्होंने कहा कि, वह रात किसी अमावस की रात से कम नहीं थी।

एक टॉर्च की रोशनी पड़ते ही गोलियों की बौछार हुई शुरू

अजय कश्यप ने बताया कि, ''गुरुवार रात करीब 12:15 बजे सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्र की अगुवाई में तीन थाने चौबेपुर, बिठूर और शिवराजकी पुलिस कुख्यात अपराधी विकास दुबे के घर दबिश देने के लिए निकली थी। पुलिस ने अपने वाहन गांव से बाहर खड़े कर दिएऔर पैदल ही विकास दुबे के घर की तरफ निकल पड़ी। विकास के घर से करीब 200 मीटर दूर रास्ते में एक जेसीबी मशीन खड़ी हुई थी। पुलिस जेसीबी को क्रॉस कर विकास दुबे के घर की तरफ बढ़ी। पुलिस ने दुबे की छत पर टार्च मारी तो वहां एक आदमी दिखाई दिया। पुलिस विकास दुबे के घर की बैक साइड से घेराबंदी करना चाहती थी। पुलिस दुबे के मकान की बैक साइड जाने के लिए कोने पर पहुंची ही थी कि एक टॉर्च की रोशनी हम पर पड़ी औरगोलियों को बौछार शुरू हो गई।''

बचने की खुशी नहीं,साथियों की शहादत का रंज
''पहली बार में ही बदमाशों ने 20-22 राउंड फायरिंग पुलिस पर की। सबसे पहले मेरे एक हाथ में गोली लगी, फिर पैरों में गोली लगी। जिससे मैं घायल हुआ। साथ में रहा सिपाही अजय सेंगर भी घायल हुआ था।इसके बाद मैंनेएक दीवार और ट्राली की आड़ ली और एक छतिग्रस्त मकान से होते हुए गली में पहुंच गया। तीन तरफ से घरों की छतों से बदमाश फायर कर रहे थे। वहीं, हमें टारगेट नहीं दिख रहे थे। बदमाश बार-बार अपनी जगह भी बदल रहे थे। इसके बाद गली से होते हुए घायल पुलिसवाले किसी तरह अपनी जान बचाते हुए अपनी जीप तक पहुंचे। वहां से सीनियर अफसरों ने घायलों को अस्पताल भिजवाया। अजय ने बताया कि उसको अपने बचने की इतनी खुशी नहीं है जितना रंज अपने साथियों की शहादत का है। ''



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यह तस्वीर बुलंदशहर की है। सिपाही अजय अपने परिवार के साथ। कानपुर शूटआउट में गोली लगने से उनका हाथ टूट गया।


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