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राममंदिर की नींव रखते ही दियरा में जलाए जाएंगे 2100 दीपक, 5 सदी पहले भगवान श्रीराम ने आदि गोमती में स्नान के बाद यहीं पर जलाया था दीया

भगवान श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या इस वक़्त चर्चा का केंद्र है। काफी उथल पुथल के बाद मंदिर अब से ठीक तीसरे दिन अयोध्या में उनके भव्य मंदिर की नींव रखी जानी है। इस खास मौके पर यूपी के सुल्तानपुर जिले में हर्षोल्लास का माहौल है। अयोध्या में भूमि पूजन के समय पर यहां ऐतिहासिक स्थल दियरा में 2100 दीप जलाकर खुशी मनाई जाएगी। इसलिए कि मान्यता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम ने जयसिंह पुर तहसील क्षेत्र के इस स्थान पर पहला दीया जलाया था।

दीप जलाकर हरसायन नागापुर गांव में भगवान ने किया था शयन
जयसिंहपुर विधायक सीताराम वर्मा ने बताया- 5 अगस्त को अयोध्या में भूमि पूजन के ऐतिहासिक क्षण पर दियरा में दीप जलाने का कार्यक्रम रखा गया है। उन्होंने बताया कि हम सभी और यहां की जनता इस दिन को अपने जीवन का यादगार दिन बनाना चाहते हैं। प्रभु श्रीराम द्वारा लंका विजय कर अयोध्या आगमन के बाद दीपावली मनाने की परंपरा रही है।

धोपाप में स्नान के पाश्चात गोमती तट पर जलाए गए थे दिये
मान्यता है की सुलतानपुर के आदि गंगा गोमती में जिस स्थान पर प्रभु श्रीराम ने स्नान कर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी उसे ही धोपाप के नाम से जाना जाता है। धोपाप स्नान के पश्चात ही भगवान श्रीराम आगमन की खुशी में आदि गंगा गोमती किनारे जिस स्थान पर पहला दिया जलाये थे। उसी स्थान को दियरा कहा जाने लगा और तभी से दीपोत्सव मनाए जाने की परंपरा चली आ रही है। उन्होंने ये भी बताया कि मान्यता है कि दियरा में दीप जलाने के बाद बगल स्थित गांव हरसायन नागापुर में भगवान शयन (विश्राम) भी किए थे। आसपास के लोग गांव का नाम आज भी हरिशयनी के नाम से ही पुकारते हैं।

रामायणकालीन स्थल दियरा है बदहाल
आदि गंगा गोमती किनारे दियरा में प्राचीन श्रीरामजानकी मंदिर पुरानी कलाकृतियों से सुसज्जित है। जिसे दियरा रियासत के राजा ने सैकड़ों वर्ष पूर्व बनवाया था। रोहित पाठक बताते हैं कि रामायणकालीन स्थल दियरा हजारों वर्ष के इतिहास को अपने में समेटे हुए है। फिर भी उपेक्षित है, क्षेत्रीय जन प्रतिनिधि इस प्राचीन स्थल पर ध्यान ही नहीं देते। रात में सोलर लाइट तक नहीं जल पाती है। उन्होंने ये भी बताया कि सैकड़ों वर्ष पूर्व दियरा राजा द्वारा बनवाया गया श्रीराम जानकी मंदिर का कुछ हिस्सा ग्रामीण किसी तरह रंगाई पुताई तो करवाते हैं बाकी ज्यादातर हिस्सा जर्जर स्थिति में है।



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भगवान श्रीराम के आगमन की खुशी में आदि गंगा गोमती किनारे जिस स्थान पर पहला दिया जलाये थे, वहां पांच अगस्त को 2100 दीपक जलाए जाएंगे।


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