पूर्व केंद्रीय रेल राज्य मंत्री और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता मनोज सिन्हा अब जम्मू-कश्मीर के नए उपराज्यपाल होंगे। बुधवार शाम को गिरीश चंद्र मुर्मू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। अब गुरुवार सुबह राष्ट्रपति भवन की ओर से मनोज सिन्हा की नियुक्ति की जानकारी दी गई है। सिन्हा के 2019 का लोकसभा चुनाव हारने के बाद से उनके समायोजन को लेकर कई बार विचार और चर्चाएं हुईं लेकिन न उन्हें राज्यसभा भेजा गया, न कहीं जगह मिली। सिन्हा ने 23 साल की उम्र में बीएचयू छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव जीता था। इसके बाद से उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। शुरुआती समय से ही वे भाजपा से जुड़े और 1996 में गाजीपुर सीट से लोकसभा चुनाव जीतकर पहली बार सांसद बने।
सरल स्वभाव के हैं मनोज सिन्हा
2014 में मोदी लहर थी और मनोज सिन्हा गाजीपुर से तीसरी बार सांसद चुने गए। यह उनका घरेलू में मैदान माना जाता है। वे संसदीय क्षेत्र में बेहद सक्रिय रहते आए हैं। लेकिन, 2019 में ऐसी बाजी पलटी कि सिन्हा रेल राज्य मंत्री होते हुए भी लोकसभा चुनाव हार गए। जानकारों की मानें तो सिन्हा स्वभाव से बहुत सरल हैं। पार्टी के भीतर और बाहर उनका कोई राजनीतिक दुश्मन नहीं दिखता। वह सबसे दोस्ताना संबंध रखने में माहिर माने जाते हैं। या यूं कहें कि वह किसी तरह की गुटबाजी का हिस्सा नहीं बनते हैं।
2017 में यूपी के मुख्यमंत्री बनते रह गए
सिन्हा ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से पढ़ाई की। यहां से आईआईटी भी की। सिन्हा की छवि काफी साफ सुथरी है। वे राजनीति में खासे सक्रिय रहे और बीएचयूसे छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। उत्तर प्रदेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में जब भाजपा को बहुमत मिला, तब सिन्हा का नाम मुख्यमंत्री के दावेदार में सबसे आगे था। हालांकि, वे हर बार मना करते रहे। सिन्हा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में रेल राज्य मंत्री भी बनाए गए और प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी समेत पूर्वांचल के लिए अच्छा काम किया। मोदी और अमित शाह के करीबी माने जाते हैं। मोदी और सिन्हा के बीच आरएसएस के दिनों से ही अच्छे संबंध हैं। पहले वह राजनाथ सिंह के अपोजिट माने जाते थे, लेकिन अब राजनाथ से भी करीबी रिश्ते हैं।
जीवन परिचय
1 जुलाई, 1959 को जन्मे मनोज सिन्हा ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय) से 1982 में सिविल इंजीनियरिंग में एम. टेक किया है। सिन्हा की 1 मई 1977 को सुल्तानगंज, भागलपुर की नीलम सिन्हा से शादी हुई। उनकी एक बेटी है, जिसकी शादी हो चुकी है। एक बेटा है जो एक टेलीकॉम कंपनी में जॉब करते हैं।
राजनीतिक करियर
मनोज सिन्हा साल 1989-96 के बीच राष्ट्रीय परिषद के सदस्य रहे हैं। साल 1996, 1999 और 2014 में लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। सिन्हा गाजीपुर से पहली बार 1996 में लोकसभा पहुंचे। लेकिन 1998 के चुनाव में मात खा गए। 1999 में फिर गाजीपुर से आम चुनाव जीते, लेकिन 2004 में फिर हार गए। साल 2014 में फिर से गाजीपुर से सांसद बने और 2019 में वह हार गए। 1999 से 2000 के बीच वे योजना और वास्तुशिल्प विद्यापीठ की महापरिषद के सदस्य रहे। इसके अलावा शासकीय आश्वासन समिति और ऊर्जा समिति के सदस्य भी रहे।
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