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विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी के कारानामों की दोबारा खुलेंगी फाइलें, मददगारों पर भी गिरेगी कार्रवाई की गाज

कानपुर शूटआउट के आरोपी विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी पर अब तक दर्ज मुकदमों की फाइलें दोबारा खोली जाएंगी। वह दो सप्ताह से कानपुर देहात के माती जेल में बंद है। जय बाजपेयी पर विकास दुबे को कारतूस, असलहे मुहैय्या कराने के साथ उसकी नंबर दो की कमाई को नंबर एक में तब्दील करने का आरोप है। जिसकी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग जांच कर रहा है। पुलिस उन लोगों की भी तलाश करेगी जो अब अभी तक उसके मददगार बने हुए थे।

एएसपी ने जांच कराने की संस्तुति की थी

साल 2017 में तत्कालीन आईजी आलोक सिंह ने एक शिकायत के आधार पर जय बाजपेयी और उसके भाई रजय बाजपेयी के खिलाफ कन्नौज के तत्काली एएसपी केसी गोस्वामी से जांच कराई थी। 21 मार्च 2018 को एएसपी ने अपनी रिपोर्ट सौंपी। लेकिन उसके बाद रिपोर्ट कहां गई? इसका खुलासा नहीं हो सका। सूत्रों की मानें तो तत्कालीन आईजी ने कानपुर एसएसपी अनंत देव को कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन इस मामले में कोई दिलचस्पी नहीं ली गई।

पुलिस के अनुसार कन्नौज के पूर्व एएसपी केसी गोस्वामी की रिपोर्ट जय बाजपेयी के लिए मुसीबत का सबब बन सकती है। एएसपी ने पहले ही जांच रिपोर्ट में कई मुकदमों पर सवाल खड़े किए थे। उन्होंने बजरिया और नजीराबाद थाने में दर्ज मुकदमों में जांच किसी अन्य थाने से कराने की संस्तुति की थी। इसके अलावा नजीराबाद थाने में दर्ज मुकदमा संख्या 49/2018, 50/2018 और 51/2018 भी सवालों के घेरे में है। यह मुकदमे जय बाजपेयी और उसके विरोधी सौरभ भदौरिया पक्षों के आपस में पथराव को लेकर दर्ज हुए थे।

पहला मुकदमा सौरभ के पक्ष से विशाल कुरील ने दर्ज कराया, जबकि क्रास एफआईआर जय की तरफ से प्रिंस सोनकर ने दर्ज कराई थी। जबकि तीसरा मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया था। इन मुकदमों की जांच में जय के पक्ष को लाभ दिया गया था। जिसको लेकर दूसरे पक्ष ने विरोध भी किया था और मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था। लेकिन अब पुलिस की नजर टेढ़ी हो गई है और बंद हो चुके मामलों की जांच दोबारा करने की तैयारी पुलिस कर चुकी है।

क्या बोले कप्तान?

एसएसपी कानपुर डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि जय बाजपेयी के ऊपर दर्ज अन्य मुकदमों के दोबारा जांच करने के आदेश दिए गए हैं। जिसमें फाइनल रिपोर्ट लगा दी गई थी। फाइनल रिपोर्ट किस आधार पर लगाई गई? इसकी भी जांच की जाएगी। अगर किसी भी तरह से अपराधी को बचाने का प्रयास किया गया होगा तो जांच अधिकारी पर कार्रवाई होना निश्चित है।

क्या है कानपुर शूटआउट?

कानपुर के चौबेपुर थाना के बिकरु गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। 9 जुलाई को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। 10 जुलाई की सुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस मामले में अब तक 8 वांछित गिरफ्तार किए गए हैं। जबकि, मुख्य आरोपी विकास दुबे समेत छह एनकाउंटर में मारे गए हैं। अभी 8 नामजद आरोपी फरार चल रहे हैं।



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गैंगस्टर विकास दुबे का खजांची जय बाजपेयी।


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