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28 साल बाद आज फैसला आएगा; आडवाणी-जोशी-उमा भारती जैसे 6 आरोपी कोर्ट में मौजूद नहीं रहेंगे

28 साल बाद आज अयोध्या के बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में लखनऊ सीबीआई विशेष कोर्ट अपना निर्णय देगा। 28 साल पहले 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया था। ढांचा गिराने का आरोप लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी जैसी हस्तियों समेत 48 लोगों पर लगा था। इनमें से 16 की मृत्यु हो चुकी है। सीबीआई की स्पेशल कोर्ट 32 आरोपियों की किस्मत का आज फैसला सुनाएगी। सभी आरोपियों को व्यक्तिगत तौर पर अदालत में रहने के लिए कहा गया है। लेकिन 6 आरोपी गैर हाजिर रहेंगे। इसके पीछे ही वजह कोरोना और आरोपियों की उम्र और सेहत का हवाला दिया गया है। फिलहाल, कोर्ट के बाहर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था है।

कोर्ट के भीतर जातीं साध्वी ऋतंभरा।

लखनऊ की सीबीआई विशेष कोर्ट में चारों तरफ पुलिस का सख्त पहरा है। चारों तरफ बैरिकेडिंग लगाकर सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता किया गया है। आने जाने वालों से पूछताछ हो रही है। किसी भी अंजान व्यक्ति को कोर्ट के भीतर जाने की इजाजत नहीं है।

ये छह आरोपी रहेंगे गैर हाजिर

बाबरी विध्वंस केस पर फैसला के समय 6 आरोपी मौजूद नहीं रहेंगे। उनमें एलके आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, शिवसेना के सांसद रहे सतीश प्रधान, नृत्य गोपाल दास, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह शामिल हैं। सभी ने सेहत का हवाला दिया है। इसके अलावा अन्य सभी आरोपी मौजूद रहेंगे। विवादित ढांचा मामले में स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज एसके यादव अपना फैसला सुनाएंगे।

आरोपी पवन पांडेय कोर्ट पहुंचे। बोले- 5 साल से ज्यादा की सजा हुई तो जेल जाने को तैयार हूं।रामलला के काम आ गए।

6 दिसम्बर 1992 को 10 मिनट के अंतराल पर दर्ज हुईं दो एफआईआर

  • पहली एफआईआर मुकदमा संख्या 197/92 को प्रियवदन नाथ शुक्ल ने शाम 5:15 पर बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में तमाम अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 395, 397, 332, 337, 338, 295, 297 और 153ए में मुकदमा दर्ज किया।
  • दूसरी एफआईआर मुकदमा संख्या 198/92 को चौकी इंचार्ज गंगा प्रसाद तिवारी की तरफ से आठ नामजद लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया, जिसमें भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, तत्कालीन सांसद और बजरंग दल प्रमुख विनय कटियार, तत्कालीन वीएचपी महासचिव अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया और गिरिराज किशोर शामिल थे। इनके खिलाफ धारा 153ए, 153बी, 505 में मुकदमा लिखा गया।
  • बाद में जनवरी 1993 में 47 अन्य मुकदमे दर्ज कराए गए, जिनमें पत्रकारों से मारपीट और लूटपाट जैसे आरोप थे।


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लखनऊ सीबीआई विशेष कोर्ट के बाहर सुरक्षा का कड़ा पहरा।


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