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राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर; 15 अक्टूबर से शुरू होगा मुख्य मंदिर के पिलर का निर्माण, निखिल सोमपुरा ने कहा- खजुराहो की तकनीक पर बनेगा मंदिर

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का काम तेजी से चल रहा है। मंदिर की नींव के टेस्ट पिलर की नींव खुदाई व इसकी ढ़लाई का काम पूरा हो गया है। इसके बाद 12 टेस्ट पिलर्स की लोड टेस्टिंग एक माह के बाद आईआईटी रूड़की की इंजीनियरिंग टीमों के आने के बाद की जाएगी। इसके बाद 15 अक्टूबर से मूल मंदिर 1200 पिलर को तैयार करने का काम शुरू होगा, जिसे तैयार करने में 9 महीनों का समय लग सकता है। मंदिर निर्माण में, पत्थरों का काम जून 2021से शुरू हो जाएगा।

पत्थरों से मंदिर निर्माण की वास्तुकला ,आधुनिक तकनीक, व इसके निर्माण की बारीकियों व अन्य मुद्दों पर राम मंदिर के प्रमुख आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा से दैनिक भास्कर ने लंबी बातचीत की।

प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश-

सवाल: राम मंदिर की नींव तैयार हो रही है। टेस्ट पिलर पर लोड की जांच के बाद 1200 पिलर को खड़ा करने का काम अक्टूबर में शुरू होगा। आप का पत्थरों का काम कब शुरू होगा?
जवाब: पिलर तैयार करने में बाद इसकी मजबूती व लोड बर्दाश्त की टेस्टिंग, तकनीकी टीम करेगी।इसमें तीन चार महीने लग सकते हैं। उसी के बाद हमारी टीम का काम शुरू हो जाएगा।

सवाल : किस तकनीक से पत्थरों से मंदिर की जुड़ाई का काम होगा ?
जवाब : मंदिर निर्माण की प्राचीन पद्धति से ही मंदिर का निर्माण किया जाएगा। उदाहरण के तौर पर जिस तकनीक से खजुराहो के मंदिर बने हैं।

सवाल : कैसे बनेगा मंदिर ?और आप की टीम में कितने कारीगर लगेंगे?
जवाब :
मंदिर की मजबूती एक हजार साल बनी रहे ।इसके मद्देनजर इसे भूकंप-रोधी बनाने के लिए पत्थरों की जुड़ाई में दो पत्थरों के बीच तांबे की पट्टी रखकर इसे मजबूत सीमेंट अथवा चूने के मसाले से भर कर जोड़ा जाएगा।यही प्रक्रिया पूरे मंदिर के पत्थरों की जुड़ाई में अपनाई जाएगी।

राम मंदिर निार्माण के प्रधान आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा। फाइल फोटो
राम मंदिर निार्माण के प्रधान आर्किटेक्ट निखिल सोमपुरा। फाइल फोटो

सवाल : मजबूत जुड़ाई में और क्या सावधानी बरती जाएगी?
जवाब :
पत्थरों की जुड़ाई में सबसे जरूरी होता है कि भूकंप आने पर पत्थर खिसके नहीं।ऐसे में मंदिर के स्तंभों के पत्थरों को तराशने में विशेष डिजाइन का प्रयोग किया गया है।एक पत्थर में बीच में गोल छेद व दूसरे में उसी नाप की राड तराशी गई है।दोनों को इसी होल में फिट करके मजबूत चूने अथवा सीमेंट के मसाले से भर दिया जाएगा। उसके बाद दोनों जुड़े पत्थर कभी अलग नहीं होगें।

सवाल : आप की टीम में कितने कारीगर लगेंगे?क्या हाई टेक मशीनें भी लगेंगी?
जवाब :
करीब डेढ़ सौ कारीगर लगेंगे।काम जल्दी पूरा करने के लिए एल एंड टी की लिफ्टर मशीनों का भी उपयोग किया जाएगा।जो भारी पत्थरों को ऊपर तक ले जाएंगी।

सवाल : मंदिर कार्यशाला में प्रस्तावित मंदिर के ग्राउंड फ्लोर के तराशे पत्थर तैयार हैं। कब तक तैयार हो जाएगा ग्राउंड फ्लोर?
जवाब : करीब डेढ़ लाख घन फीट पत्थर तैयार हैं। 9 महीने में इनकी जुड़ाई का काम हम पूरा कर लेंगे। मंदिर के फर्स्ट व सेकंड फ्लोर के लिए डेढ़ लाख घनफीट और पत्थरों की जरूरत पड़ेगी।जिसे तेजी से तराशने के लिए कई वेंडरों को काम सौंपा जाएगा।नहीं तो 9 माह बाद पत्थरों की जुड़ाई का काम रुक जाएगा।

सवाल: मंदिर की 15 फीट ऊंची बेस व फर्श कैसे तैयार होगा?
जवाब :
नींव के1200पिलर्स के ऊपर पत्थरों का बेस तैयार होगा।जिसकी फर्श मार्बल की बनेगी।इसी पर श्रद्धालु मंदिर में परिक्रमा व भ्रमण कर सकेंगे।

एक महीने पहले प्रधानमंत्री ने भूमिपूजन किया था

दरअसल, 5 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर का भूमि पूजन किया था। एक दिन पहले राम मंदिर के मॉडल की तस्वीरें सामने आई थीं। 161 फीट ऊंचे राम मंदिर में पांच मंडप और एक मुख्य शिखर है। दावा है कि अयोध्या के हर कोने से यह मंदिर दिखेगा। साल 1989 में राम मंदिर का मॉडल बनाया गया था। इसमें श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बदलाव किया है। यह मंदिर साढ़े तीन साल में बनकर तैयार होगा।

3 एकड़ में मंदिर, 65 एकड़ में परिसर होगा

राम मंदिर का नक्शा तैयार करने वाले चीफ आर्किटेक्ट सोमपुरा के बेटे निखिल सोमपुरा के मुताबिक मंदिर के पास 70 एकड़ जमीन है। लेकिन, मंदिर 3 एकड़ में ही बनेगा। बाकी 65 एकड़ की जमीन पर मंदिर परिसर का विस्तार किया जाएगा। मंदिर में एक दिन में एक लाख राम भक्त पहुंच सकेंगे।



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अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं। मंदिर  निर्माण में, पत्थरों का काम जून 2021से शुरू हो जाएगा।


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