उत्तर प्रदेश के आईपीएस अफसर अमिताभ ठाकुर ने यूपी आईपीएस एसोसिएशन से अपील की है कि वह हाथरस के जिलाधिकारी को निलंबित किये जाने के लिये हस्तक्षेप करे। यूपी एसोसिएशन तथा सेंट्रल आईपीएस एसोसिएशन को भेजे पत्र में अमिताभ ने यह बातें कही हैं।
अमिताभ ने कहा कि पुलिस अफसरों पर कार्यवाही अपेक्षित थी, लेकिन साथ ही इस मामले में डीएम हाथरस प्रवीण कुमार लक्षकार के खिलाफ भी अत्यंत प्रतिकूल तथ्य मीडिया व सोशल मीडिया से सामने आ रहे हैं, जिसमे उनके द्वारा व्यक्तिगत रूप से पीड़िता के परिवार को धमकी देने जैसे गंभीर आरोप तक शामिल हैं।
उन्होंने आईपीएस एसोसिएशन को इन तथ्यों को शासन को अवगत कराते हुए विभिन्न सेवाओं में समानता एवं न्याय के सिद्धांत के अनुसार इस प्रकरण में मौजूदा डीएम हाथरस के विरुद्ध भी निलंबन सहित अन्य समतुल्य कार्यवाही किये जाने के लिये पत्राचार करने का अनुरोध किया है।
हाथरस मामले में एसआईटी की प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर सरकार ने पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर समेत पांच पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया था। हालांकि इस मामले में जिलाधिकारी के खिलाफ कार्रवाई किये जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
हाथरस में नार्को टेस्ट निर्देश सुप्रीम कोर्ट आदेश के विरुद्ध
वहीं दूसरी ओर एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने हाथरस रेप केस में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पीडिता के परिवार सहित सभी स्टेकहोल्डर पर नार्को या पॉलीग्राफ टेस्ट कराये जाने के आदेश को पूरी तरह अवैधानिक बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने सेल्वी एवं अन्य बनाम कर्नाटक राज्य में यह आदेश दिया था कि किसी भी व्यक्ति को जबरदस्ती इनमे से किसी भी तकनीकी से गुजरने को बाध्य नहीं किया जायेगा, चाहे वह आपराधिक मुक़दमा हो या कोई अन्य मामला।
उन्होंने बताया कि किसी व्यक्ति की सहमति के बिना ऐसे टेस्ट कराना उस व्यक्ति की निजता के मौलिक अधिकार का हनन होगा। मात्र संबंधित व्यक्ति की स्वैच्छिक सहमति से यह टेस्ट करवाया जा सकता है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी इस संबंध में विस्तृत निर्देश जारी किये हैं। नूतन ने कहा कि इस स्पष्ट विधिक व्यवस्था के बाद भी एकतरफा इस प्रकार के आदेश देने से साफ़ दिखता है कि राज्य सरकार कानून के परे काम कर रही है और सरकार में बैठे लोगों का देश की संवैधानिक व्यवस्था में कोई विश्वास नहीं है। नूतन ने कहा कि यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है, वे उस तथ्य को इस प्रकरण में लंबित जनहित याचिका में इलाहाबाद हाई कोर्ट के सामने रखेंगी।
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