उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ हैवानियत और फिर प्रशासन की मनमानी पर भाजपा सरकार बीते दो दिनों से लीपापोती में लगी है। आज कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी पीड़ित के घर पहुंचने वाले हैं। उससे पहले सपा ने गांव के बाहर धरना शुरू कर दिया है। प्रशासन ने पीड़ित परिवार की सुरक्षा में तैनात तीन पुलिस कर्मियों में कोरोना संक्रमण का हवाला देकर गांव में किसी के भी प्रवेश पर पाबंदी लगा दी है। गांव को कंटेनमेंट जोन बनाया जा रहा है। लेकिन खास बात यह है यह नियम एसआईटी पर लागू नहीं है। एसआईटी टीम परिवार के बीच मौजूद होकर लोगों से पूछताछ कर साक्ष्य इकट्ठा कर रही है।
क्या प्रियंका के आने की वजह से गांव को सील किया गया?
प्रियंका गांधी हाथरस के पीड़ित परिवार से मिलने के लिए दिल्ली से निकल चुकी हैं। इससे पहले ही पुलिस प्रशासन ने जिले के सभी बॉर्डर सील कर दिए हैं। यही नहीं गांव को भी चारों तरफ से सील कर दिया गया है। गांव में अब मीडिया कर्मी भी नही जा पा रहे हैं। यही नहीं डर की वजह से गांव वाले भी बाहर नही निकल रहे हैं। ऐसे में सवाल उठते है कि क्या सिर्फ प्रियंका के आने की वजह से गांव को सील किया गया है? क्योंकि सिर्फ संक्रमण का खतरा होता तो एसआईटी टीम को भी रोका जाता।
तीन पुलिसकर्मी हुए आइसोलेट, 2 में भी संक्रमण का खतरा
हाथरस एसपी विक्रांत वीर ने बताया कि परिवार की सुरक्षा में लगे एक सब इंस्पेक्टर और 2 सिपाही में कोरोना के शुरुआती लक्षण दिखे हैं। उनका परीक्षण कर आइसोलेट किया गया है। जबकि दो महिला कांस्टेबल में भी शुरुआती लक्षण दिख रहे हैं। ऐसे में गांव को सील किया गया है।
सपा ने गांव के बाहर शुरू किया धरना
हुल-प्रियंका के पहुंचने से पहले समाजवादी पार्टी के तमाम कार्यकर्ता एमएलसी जसवंत सिंह और अतुल प्रधान की अगुवाई में पीड़ित के गांव बुलगढ़ी पहुंच गए हैं। पुलिस ने बैरिकेडिंग लगाकर लोगों को गांव में प्रवेश करने से रोक दिया है। इसके विरोध में सपा कार्यकर्ता धरने पर बैठ गए हैं। सरकार के खिलाफ नारेबाजी की जा रही है।
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