उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित युवती के साथ हुए गैंगरेप केस में पीड़ित की मौत के बाद पीड़िता को जिला प्रशासन ने गांव के बाहर ही जला दिया जिसके बाद परिवार का गुस्सा बाहर आया। 3 दिन बाद परिवार के सदस्य वहां पहुंचे जहां पीड़ित को जलाया गया था। परिवार अपनी बेटियों की अस्थियां लेने मौके पर पहुंचा हैं।
आमतौर पर चिता जलने के बाद परिवार अगले दिन अपने मृतक की अस्थियां लेने चिता स्थल पर जाता है। उसके बाद भी एसआईटी की जांच के नाम पर परिवार को रोके रखा गया। वहीं गांव में मीडिया की एंट्री पर भी बैन लगा दिया गया था। हालांकि 3 दिन बाद शनिवार को मीडिया को एंट्री मिली। जिसके बाद परिवार आज चिता स्थल पर जाने को राजी हुआ।
भाई ने कहा-लावारिस समझ कर मेरी बहन को पेट्रोल डाल जला दिया
पीड़िता के भाई ने कहा कि हमें प्रशासन ने आखिरी बार अपनी बहन को नहीं देखने दिया। उन्होंने कहा कि प्रशासन का कहना था कि उसका पोस्टमार्टम हुआ है कैसे देखते। भाई ने कहा-जब वह हॉस्पिटल में थी तब हम ही तो थे और वह मेरी बहन थी कैसे हम नहीं देख पाते। मेरी बहन को लावारिस समझ कर पेट्रोल डाल कर जला दिया। भाई ने कहा कि दो बड़े अफसर आये थे हमने उनसे अपनी शिकायतों को बता दिया है लेकिन दूसरे लोगों की तरह वह सिर्फ आश्वासन देकर चले गए हैं।
क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बुलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की युवती से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने युवती की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई। चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था।
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