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बंदरों के आतंक से परेशान थे ग्रामीण; वन विभाग ने की अनदेखी तो भालू बनकर गांव में घूम रहे दो युवक


शाहजहांपुर. उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में सिकंदरपुर अफगान गांव के लोग बंदरों के आतंक से परेशान हैं। 5 हजार आबादी वाले इस गांव में करीब 10 हजार बंदर हैं, जो अब तक करीब 150 बच्चों पर हमलाकर उन्हें घायल कर चुके हैं। गांव वालों ने वन विभाग से बंदरों को पकड़वाने की गुजारिश की तो बजट की अनुपलब्धता का हवाला देकर प्रति बंदर 300 रुपए की डिमांड की गई। इसके बाद गांव वालों ने अपनी परेशानी से खुद निपटने की ठान ली। 1700 रुपए में भालू जैसी दो पोशाक खरीदी गई, जिसे दो युवक हर दिन दो-तीन घंटे पनहकर गांव में घूमते हैं। जिन्हें देखकर बंदर गांव छोड़कर भाग रहे हैं। ग्रामीणों का दावा है कि, बंदरों की संख्या में काफी कमी आई है।

एक बंदर पकड़ने के लिए वन विभाग ने मांगे थे 300 रुपए
सलीम व राम कुमार भालू बने,गांव छोड़कर भाग रहे बंदर
यह पूरा मामला शाहजहांपुर जिले के जलालाबाद थाना इलाके के सिकंदरपुर अफगान गांव का है। यहां के ग्रामीणों ने बंदरों के आतंक के बारें में कई बार वन विभाग व जिला प्रशासन को लिखित में पत्र दिया। लेकिन जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो परेशानी को दूर करने के लिए भालू बनने का विकल्प तलाश लिया गया। गांव के पूर्व प्रधान अशोक ने कहा- ग्रामीणों ने पैसे जुटाए और एक मेकप आर्टिस्ट से 1700 रुपए में भालू की तीन पोशाकें खरीदी गईं। गांव के सलीम व राम कुमार भालू की पोशाक पहनकर गांव में घूमते हैं। भालू की शक्ल देखकर बंदर गांव छोड़कर भाग रहे हैं। उन्हें देखकर बंदर कभी पेड़ से कूद जाते हैं तो कभी मकान की छत से कूद कर भाग जा रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा- जब उन लोगों ने वन विभाग से बंदरों को पकड़वाने की मांग की थी तो उनसे वन विभाग ने एक बंदर पकड़ने के एवज में 3 सौ रूपए का शुल्क मांगा था। फीस ज्यादा होने की वजह से ग्रामीणों ने हाथ खड़े कर लिए थे।
राहत मिलेगी या नहीं, पशोपेश में ग्रामीण
भालू बनकर गांव में घूमने वाले सलीम ने कहा- बंदर तो गांव छोड़ कर धीरे-धीरे भाग रहे हैं। लेकिन गांव के कुत्ते भौंकने लगते हैं। काटने की कोशिश भी करते हैं। राम कुमार ने कहा- काफी बंदर अभी भी गांव में मौजूद है, जो भारी नुकसान कर रहे हैं। खाना बनाते और खाना खाते वक्त परिवार के लोग लाठी डंडा लेकर बंदरों को भगाते नजर आते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि बंदरों को भगाने के इस तरीके से उन्हें राहत मिल पाएगी या नहीं इसको लेकर उनकी परेशानी बरकरार है।
दौरा कर जानेंगे कि, क्या वाकई काम कर रही तरकीब?
उप-विभागीय वन अधिकारी एमएन सिंह ने कहा- जिले में बंदर आबादी तेजी से बढ़ रही है। धन की कमी के कारण हम बहुत कुछ नहीं कर पा रहे हैं। एक बंदर को पकड़ने में लगभग 600 रूपए का खर्च आता है और 2018 के बाद से फंड मिलने पर हमने मथुरा से एक बचाव दल बुलाया था। वर्तमान में, हम केवल अपने दम पर या कुछ एनजीओ के माध्यम से लोगों को बंदरों को पकड़ने की अनुमति दे सकते हैं। सिंह ने कहा कि वह जल्द ही सिकंदरपुर गांव का दौरा करेंगे और जांच करेंगे कि क्या यह भालू की चाल वास्तव में काम कर रही है और अन्य गांवों में भी इसी तरह की कार्रवाई का सुझाव देगी।



Uttar Pradesh's Shahjahanpur Monkeys Terror: Afghan Villager Dress Up as Bear To Scare Away Monkeys


from Dainik Bhaskar 

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