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मध्यप्रदेश के उज्जैन में जिस नाटकीय अंदाज में उत्तरप्रदेश के कुख्यात बदमाश विकास दुबे की गिरफ्तारी हुई थी, उसी अंदाज में उसके एनकाउंटर के बाद उसकी कहानी खत्म हो गई। मध्यप्रदेश पुलिसउसे यूपी एसटीएफ को सौंपने के लिए बहुत जल्दबाजी में थी। उन्हें इतनी जल्दी थी कि राजगढ़ ब्यावराटोल प्लाजा पर उन्होंने रोड सेफ्टी के लिए बीच सड़क पर लगाए स्टॉपर कॉन तक को उड़ा दिया। विकास के एनकाउंटर के बाद मध्यप्रदेश में सियासत भी शुरू हो गई है। भाजपा और कांग्रेस के नेता बयान देने लग गए हैं।
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इससे वह गाड़ी के नीचे फंस गया और करीब 10 फीट तक घिटता चला गया। इस दौरान स्टॉपर को हटाने के लिए एक कर्मचारी दौड़ते हुए आता है, तो वह गाड़ी के सामने गिरते-गिरते हुए बच जाता है। इसके बाद बदमाश को लेकर काफिला धड़धड़ाते हुए निकल जाता है।
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एनकाउंटर के पहले
सूत्रों ने बताया कि सुबह साढ़े छह बजे के करीब विकास को ले जा रहा वाहन संचेडी क्षेत्र के बाराजोड़ टोल प्लाजा से पास हुआ, जिसके पीछे मीडियाकर्मियों के वाहन थे। टोल प्लाजा के पास चेकिंग के नाम पर रोका गया। पत्रकारों के रोके जाने को लेकर एक पुलिस अधिकारी से करीब 20 मिनट तक तक बहस हुई। इसके बाद सभी वाहनों को जाने दिया गया। आगे जाकर कानपुर नगर की सीमा में दाखिल होने के कुछ ही मीटर की दूरी पर विकास का वाहन पलटा हुआ था, हालांकि तब तक हिस्ट्रीशीटर को घायल अवस्था में पुलिस अस्पताल ले जा चुकी थी। पुलिस के मुताबिक वाहन पलटते ही विकास पुलिस जवानों की पिस्टल छीन कर खेतों की ओर भागा था। खेत पर गिरे खून के निशान पुलिस के दावे की पुष्टि कर रहे थे। विकास के सीने और कमर में गोलियों के निशान देखे गए हैं।
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