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22 साल पहले सिपाही थे देवेंद्र मिश्रा, विकास दुबे की जमकर की थी पिटाई, पुलिस से बोला था सुबूत नहीं जुटा पाओगे

हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को एसटीएफ ने मुठभेड़ में गिराया है। विकास की मौत के साथ ही कई राज उसके साथ ही दफन हो गए। सूत्रों के मुताबिक पुलिस की गिरफ्त में होने के बावजूद भी विकास कह रहा था कि मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे। वहीं इस बात का भी खुलासा हुआ है कि सीओ देवेंद्र मिश्रा और विकास दुबे की 22 साल पुरानी दुश्मनी थी। देवेंद्र मिश्रा जब कल्यानपुर थाने में सिपाही थे उस वक्त विकास की जमकर पिटाई की थी और हवालात में बंद कर दिया था। विकास दुबे ने देवेंद्र मिश्रा को देख लेने की धमकी दी थी। जब देवेंद्र मिश्रा को बिल्हौर सर्किल का चार्ज मिला तो विकास दुबे के अपराधों पर अंकुश लगाना शुरू कर दिया था।

आठ पुलिस कर्मियों की बेरहमी से हत्या करने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को एसटीएफ ने बीते 10 जुलाई को मुठभेड़ में मार गिराया था। उसकी मौत के बाद कई राज अभी निकल कर सामने आ रहे है। जानकारी के मुताबिक एसटीएफ और पुलिस की टीमें जब उज्जैन से कानपुर लेकर आ रही थी। उस दौरान विकास ने पुलिस टीम के सामने भी अपनी हेकड़ी का बखान किया था। पूछताछ में सीओ देवेदं्र मिश्रा की नृशंस हत्या की बारे में भी बताया।

22 साल पहले देवेंद्र मिश्रा ने विकास दुबे की जमकर की थी पिटाई
जानकारी के मुताबिक 1998 में विकास दुबे को कल्यानपुर थाने की पुलिस ने विकास दुबे को स्मैक की 30 पुड़ियों के साथ गिरफ्तार किया था। विकास को जब पकड़कर थाने लाया गया था तो तत्कालीन थानाप्रभारी हरिमोहन यादव से भिड़ गया था। राजनीति संरक्षण होने की वजह से वो पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता कर रहा था। देवेंद्र मिश्रा उस वक्त कल्यानपुर थाने में सिपाही के पद पर तैनात थे। विकास की इस करतूत से नाराज सिपाही देवेंद्र मिश्रा ने विकास की जमकर पिटाई कर दी और उसे हवालात में बंद कर दिया था। विकास ने देवेंद्र मिश्रा को देख लेने की धमकी थी। उस समय के तत्कालीन बसपा विधायक भगवती सागर और पूर्व सांसद राजारामपाल विकास दुबे की पैरवी के लिए पहुंचे थे।

बिल्हौर सर्किल मिलने के बाद विकास के खिलाफ खोला था मोर्चा
देवेंद्र मिश्रा को बिल्हौर सर्किल मिलने के बाद विकास दुबे की हर एक गतिविधी पर पैनी नजर बनाए हुए थे। सीओ देवेंद्र मिश्रा को विकास के लोकल थाने चौबेपुर से सहयोग नहीं मिल रहा था। सीओ अपने स्तर से विकास के किसी भी काम को नहीं होने दे रहे थे। इस बात को लेकर देवेंद्र मिश्रा और विकास दुबे के बीच आमने सामने भी झड़प हो चुकी थी। जिसकी वजह से दोनों के बीच खुन्नस बढती जा रही थी। वहीं चौबेपुर थाने के निलंबित एसओ विनय तिवारी हिस्ट्रीशीटर की दोस्ती गहरी होती जा रही थी। विनय तिवारी सीओ की हर एक गतिविधी की जानकारी विकास दुबे तक पहुंचाने का काम करता था। इसके साथ ही विनय तिवारी हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के कान भरता था कि सीओ उसके एनकाउंटर की तैयारी कर रहे है। इसी वहज से सीओ की नृशंस हत्या की थी।

विकास दुबे ने कहा था कि ‘ मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे ’
हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को एसटीएफ और पुलिस की टीमें विकास दुबे को उज्जैन से पकड़कर कानपुर ला रही थी तो उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि कानपुर की सीमा में दाखिल होते ही उसका एनकांटर हो जाएगा। विकास दुबे ने पुलिस की टीम से कहा था कि मेरे खिलाफ सुबूत नहीं जुटा पाओगे। दबिश की रात कहां से गोलियां चल रही थी, कौन गोलिया चला रहा था किसी ने नहीं देखा है। मैं तो कार्ट में बोल दूंगा कि मैं तो था ही नहीं। मेरे पास कोई लाइसेंसी असलहा भी नहीं है। चार से पांच साल बाद जमानत हो जाएगी।



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दिवंगत सीओ बिल्हौर रहे देवेंद्र मिश्र।


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