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8 दिन में डी-124 गैंग का सरगना समेत छह अपराधी ढेर; बॉडीगार्ड रहे बब्बन शुक्ला समेत 13 अभी पुलिस की पकड़ से दूर

साल 2018 में 30 जून को कानपुर पुलिस ने विकास दुबे की गैंग को सरकारी रिकॉर्ड में डी-124 गैंग नाम दिया था। जिसके अंत की स्क्रिप्ट दो जुलाई की रात बिकरू गांव के शूटआउट में आठ पुलिसवालों की हत्या किए जाने के बाद अगली सुबह से लिखी जाने लगी। सरगना विकास 3 राज्यों की पुलिस को चकमा देकर यूपी से हरियाणा और फिर राजस्थान होते हुए मध्यप्रदेश पहुंच गया। सरेंडर के अंदाज में उज्जैन के महाकाल मंदिर से गुरुवार को विकास की गिरफ्तारी हुई। यूपी पुलिस उसे कानपुर ले जा रही थी, लेकिन रास्ते में विकास का वही अंजाम हुआ जिसके डर से वह भागता फिर रहा था। पुलिस ने विकास का विनाश कर दिया, उसे एनकाउंटर में मार गिराया।

बिकरू शूटआउट केस में 8 दिन में सरगना विकास दुबे समेत छह अपराधियों का एनकाउंटर हाे चुका है। लेकिन उसकी गैंग के कई शातिर फरार हैं, जो शूटआउट में विकास दुबे के अपराध में बराबर के साथी हैं। फरार अपराधी अपने सरगनाविकास दुबे के जीवित रहते एक इशारे किसी की भी जान लेने और खुद की जान देने के लिए तैयार रहते थे।उनमें विकास का निजी बॉडीगार्डबब्बन शुक्ला, हीरू दुबे और अन्य कई साथी हैं। जिन पर 50-50 हजार रुपएका इनाम है। हालांकि यूपी पुलिस और एसटीएफकी टीम ने बाकी बचे विकास दुबे के मददगारोंकी की तलाश तेज कर दी है।

इन पांच आरोपियों का हुआ था एनकाउंटर

बिकरू शूटआउट केस में सबसे पहले विकास दुबे के मामा प्रेम कुमार पांडेय और चचेरे भाई अतुल दुबे का तीन जुलाई की सुबह बिकरू गांव से करीब दो किमी दूर जंगल में हुआ था। दोनों एक मंदिर में छिपे थे। इसके बाद बीते बुधवार कोविकास के राइट हैंड और शार्प शूटर अमर दुबे को हमीरपुर में मारा गया। गुरुवार कोउसके करीबी प्रभात झा का कानपुर में और बऊआ दुबे का इटावा में एनकाउंटर हुआ था। सभी एनकाउंटर मेंलगभग एक जैसी थ्योरी सामने आई कि वे पुलिस पर हमला कर भागने की कोशिश कर रहे थे। वहीं, अब इस केस में 10 आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। इनमें चौबेपुर के पूर्व थाना प्रभारी विनय तिवारी और बीट इंचार्ज केके शर्मा शामिल हैं। दोनों पुलिसकर्मियों पर शूटआउट के वक्त मौके से भागने और विकास दुबे को दबिश की मुखबिरी करने का आरोप है।

ये शातिर वांछित चल रहे फरार-

  • बब्बन शुक्ला:यह विकास दुबे का निजी बॉडीगार्ड था।वह विकास के इशारे को समझकर काम करता था। करीब 10 साल पहले वह विकास के संपर्क में आया था। शूटआउट के बाद बब्बन शुक्ला विकास दुबे के साथ ही फरार हुआ था, जो अभी तक पकड़ा नहीं जा सका। उन्नाव में आखिरी लोकेशन मिली थी। विकास दुबे के फैले जरायम के नेटवर्क को बब्बन शुक्ला को पूरी जानकारी है।
  • हीरूदुबे:पुलिस की इनामिया सूची में 14वें नंबर का वांटेड हीरू दुबे है। विकास दुबे के इशारे पर वह विवादित प्रॉपर्टी पर कब्जा करवाने का काम करता था। वह बिकरू गांवका रहने वाला है। फिलहाल वारदात के बाद से हीरू फरार है।
  • छोटू और शिव तिवारी: यह वो कारिंदे हैं, जो विकास दुबे का इशारा मिलते ही मारपीट धमकाने काम करते थे। दोनों पर 50-50 हजार का इनाम है। शूटआउट की रात में यह दोनों विकास दुबे के बुलाने पर बिकरूगांव आए थे। छोटू विकास को पंडी जी कहकर बुलाता था। वहीं शिव तिवारी रोड पर लगने वाले ठेले और फैक्ट्रियों से अवैध वसूलता करता था।
  • राम सिंह, शिवम दुबे, बउउन उर्फ उमाकांत और बाल गोविंद: यह विकास दुबे की आंख, नाक, कान कहे जाते थे। चौबेपुर में रहने वाले यह सभी पुलिस के पचास के इनामिया सूची में शामिल हैं। यह सभी शूटआउट मेंशामिल थे।
  • जय बाजपेयी: बताया जाता है कि, विकास दुबे और उसकी पत्नी व बच्चों को वारदात के बाद फरार कराने में जय बाजपेई ने मदद की थी। विकास और जय की वारदात से पहले बात भी हुई थी। फिलहाल जय बाजपेयी एसटीएफ की हिरासत में है।
कानपुर के पूर्व एसएसपी अनंत देव के साथ जय बाजपेयी।

गिरफ्तारी के 21घंटे के बादमारा गया विकास
गुरुवार, 9 जुलाई:
सुबह 9 बजे: विकास उज्जैन में गिरफ्तार।
शाम 7 बजे: यूपी एसटीएफ की टीम को विकास सौंपा गया।
रात 8 बजे: एसटीएफ की टीम कानपुर के लिए रवाना।
शुक्रवार,10 जुलाई:
देर रात 3:15 बजे:एसटीएफ की टीम झांसी पहुंची। कुछ देर बाद कानपुर के लिए रवाना हुई।
सुबह 6:15 बजे:काफिले ने कानपुर देहात बॉर्डर रायपुर से शहर में एंट्री की।
सुबह 6:30 बजे:एसटीएफ की गाड़ी पलटी। तभी विकास दुबे ने भागने की कोशिश की। फायरिंग शुरू हुई। विकास जख्मी हो गया।
सुबह 7:10 बजे:एसटीएफ विकास को हैलट अस्पताल लेकर पहुंची।
सुबह 7.55 बजे:विकास को मृत घोषित कर दिया गया।

कानपुर शूटआउट केस में अब तक क्या हुआ?
2 जुलाई:
विकास दुबे को गिरफ्तार करने 3 थानों की पुलिस ने बिकरू गांव में दबिश दी, विकास की गैंग ने 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी।
3 जुलाई:पुलिस ने सुबह 7 बजे विकास के मामा प्रेमप्रकाश पांडे और सहयोगी अतुल दुबे का एनकाउंटर कर दिया। 20-22 नामजद समेत 60 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
5 जुलाई:पुलिस ने विकास के नौकर और खास सहयोगी दयाशंकर उर्फ कल्लू अग्निहोत्री को घेर लिया। पुलिस की गोली लगने से दयाशंकर जख्मी हो गया। उसने खुलासा किया कि विकास ने पहले से प्लानिंग कर पुलिसकर्मियों पर हमला किया था।
6 जुलाई:पुलिस ने अमर की मां क्षमा दुबे और दयाशंकर की पत्नी रेखा समेत 3 को गिरफ्तार किया। शूटआउट की घटना के वक्त पुलिस ने बदमाशों से बचने के लिए क्षमा दुबे का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन क्षमा ने मदद करने की बजाय बदमाशों को पुलिस की लोकेशन बता दी। रेखा भी बदमाशों की मदद कर रही थी।
8 जुलाई:एसटीएफ ने विकास के करीबी अमर दुबे को मार गिराया। प्रभात मिश्रा समेत 10 बदमाशों को गिरफ्तार कर लिया।
9 जुलाई:मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे उज्जैन से गिरफ्तार। प्रभात मिश्रा और बऊआ दुबे एनकाउंटर में मारे गए।
10 जुलाई:विकास दुबे एनकाउंटर में मारा गया।

विकास दुबे। -फाइल फोटो


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यह तस्वीर पुलिस की तरफ से जारी की गई थी। इसमें अमर दुबे और रणवीर को एनकाउंटर में पुलिस ने मार दिया है। बाकी लोगों की तलाश जारी है।


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