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8 दिन में यूपी पुलिस की 6 गलतियां, जिसकी वजह से बचता रहा विकास दुबे

यूपी में 8 पुलिसकर्मियों की हत्या कर देशभर में चर्चा में आया विकास दुबे एनकाउंटर में ढेर हो चुका है। कानपुर के छोटे से गांव से शुरू हुई उसकी कहानी, 8 दिन बाद ही खत्म हो गई। इस दौरान वह एसटीएफ और यूपी पुलिस सहित 10 राज्यों की पुलिस को चकमा देकर घूमता रहा। इस नाकामी ने यूपी पुलिस पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। इंटेलीजेंस फेलियर, आपसी सामंजस्य सहित 6 ऐसी गलतियां रहीं, जिसके चलते वह पकड़ से दूर ही रहा।

गलती नंबर 1: खुफिया विभाग फेल रहा

  • विकास दुबे को 2 जुलाई की शाम को ही दबिश की जानकारी मिल चुकी थी। उसने बड़े पैमाने पर असलहा और बदमाशों को बिकरू गांव बुलाया था। इस बात की जानकारी खुफिया विभाग को नहीं मिल पाई। बिकरू कांड के बाद गांव से भाग कर विकास शिबली में ही दो दिन रुका रहा, लेकिन इसकी भी भनक पुलिस और उनकी इंटेलीजेंस काे नहीं लगी।

गलती नंबर 2: शूटआउट रात में, जिलों की सीमाएं सुबह सील हुईं

  • इस मामले में सबसे बड़ी गलती अन्य जिलों की पुलिस से सामंजस्य ही नहीं दिखाई दिया। कानपुर के बिकरू गांव में रात 12.30 बजे वारदात होती है और इसकी सूचना आसपास के जिलों को सुबह दी जाती है। इसके बाद जिलों की सीमाएं सील होना की जाती है। इसमें औरैया, उन्नाव, कानपुर देहात आदि जिले भी शामिल हैं।

गलती नंबर 3: 8 जिलों की सीमाओं को पार कर पहुंच गया एनसीआर

  • विकास दुबे दो दिनों तक शिबली में ही रहा। फरीदाबाद में पकड़े गए प्रभात मिश्रा के अनुसार 5 जुलाई को वह शिबली से फरार होकर एनसीआर पहुंचा। ऐसे में सवाल उठता है कि कानपुर से चलने के बाद औरैया, कन्नौज, मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद, आगरा, मथुरा और नोएडा क्रॉस कर एनसीआर कैसे पहुंचा। जबकि, सीमाओं पर तो पुलिस तैनात थी।

गलती नंबर 4: एसटीएफ और पुलिस में कोऑर्डिनेशन की कमी

  • विकास दुबे 8 दिन 4 राज्यों में घूमा और फिर उज्जैन के महाकाल मंदिर में जाकर सरेंडर कर दिया। जबकि, यूपी पुलिस और एसटीएफ की कई टीमें अलग अलग शहर और राज्यों की खाक छान रही थी। सूत्रों के मुताबिक एसटीएफ और यूपी पुलिस में कोऑर्डिनेशन की कमी थी। बताया जाता है कि एसटीएफ आईजी अमिताभ यश सीएम के करीबी है। इसलिए वह किसी की सुनते भी नही है। इसी कमी ने यूपी पुलिस की बदनामी करवा दी।

गलती नंबर 5: समय रहते करीबियों पर शिकंजा नही कसा

  • यूपी पुलिस ने समय रहते करीबियों पर शिकंजा नही कसा। जबकि, शुरुआत में ही सूचना आ गईथी कि उसके पास मोबाइल नही है। ऐसे में वह किसी दूसरे का ही मोबाइल यूज कर अपने करीबियों से बात करेगा। लेकिन, सर्विलांस टीम भी फेल रही। इस वजह से उसे ट्रैसनहीं किया जा सका। जबकि, अलग-अलग मोबाइल नंबर से वह अपने आकाओं से बात करता रहा।

गलती नंबर 6: रसूखदारों पर शिकंजा कसते, तो पहले पकड़ा जाता

  • विकास का साल 2017 का एक वीडियो वायरल होता है। जिसमें वह सत्ता पक्ष के दो विधायकों का नाम लेता है, लेकिन पुलिस उनसे कुछ भी पूछताछ नहीं करती है। जबकि पूरे क्षेत्र के लोगों को यह जानकारी है कि विकास को यह नेता संरक्षण देते हैं। गैंगस्टर विकास अपनी आपराधिक गतिविधियाें में कई पार्टियों के नेताओं के संरक्षण में रहा।


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विकास दुबे (फाइल फोटो)


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