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पूरी रात जागता रहा गैंगस्टर, पूछताछ में कबूले थे अपने मददगार पुलिसवालों और बड़े नेताओं के नाम; कहा था- गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया

महाकालेश्वर मंदिर में बेहद नाटकीय अंदाज में दबोचे गए गैंगस्टर विकास दुबे नेउज्जैन टूकानपुर के 12 घंटे के 'आखिरी'सफर में एक झपकी तकनहीं ली थी। शायद उसे इस बात का अंदाजा था किपुलिस खेल कर सकती है। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि,इस सफर में उससेउत्तर प्रदेश एसटीएफ ने कई सवाल किए थे। जिनका जवाब देते वक्त विकास के चेहरे पर चिंता की कोई लकीरें नहीं थीं। उसने 50 से ज्यादा पुलिस अपसरों-कर्मियों के नाम गिनाए थे, जो उसके मददगार थे। कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के बड़े नेताओं के नामों का भी खुलासा किया तो साथ बैठे लोग एक दूसरे का चेहरा देखने लगे थे। चेहरे पर मुस्कान लिए विकास ने कहा- गुस्से में बिकरूकांड हो गया। आप लोग (पुलिस वाले) जेल भेज भी देंगे तो कुछ महीने या साल में जमानत मिल जाएगी।

गुरुवार की शाम साढ़े छह बजे उज्जैन से निकली थी पुलिस

कानपुर शूटआउट का मुख्य आरोपी पांच लाख का इनामी विकास दुबे बीते गुरुवार को उज्जैन में महाकाल मंदिर में गार्ड के द्वारा पकड़ा गया था। जहां पुलिस ने अपनी सुपुर्दगी में लेकर आठ घंटे तक पूछताछ की थी। उसके बाद यूपी एसटीएफ ने पहुंचकर शाम करीब छह बजे उसे सड़क मार्ग से कानपुर के लिए निकली थी। लेकिन सुबह 6:30 बजे कानपुर से 17 किमी पहले भौंती में पुलिस की गाड़ी पलट गई। विकास उसकी गाड़ी में था। हमलाकर भागने की कोशिश में वह मारा गया।

किस मददगार पुलिसकर्मी की कहां पोस्टिंग, विकास ने यह भी बताया था

एनकाउंटर से पहले विकास दुबे ने अपने कबूलनामे में अपने कई मददगारों के नाम उजागर किए थे। कहा था कि,50 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने उसकी अब तक मदद की है।इसमें तीन एडीशनल एसपी और दो आईपीएस अफसरों के नाम भी शामिल थे। यहीं नहीं उसे जुबानी सभी नाम याद थे और कौनकहां पोस्ट है, वह भी बताया था। विकास ने कानपुर, उन्नाव और लखनऊ के कई नेताओं के नाम लिए। उसने यह भी कहा कि,सीओ देवेंद्र मिश्र से अपनी चिढ़ का राज भी खोला। कहा कि, सीओ उसे हद में रहने की बात करते थे। लेकिन वह चाहता था कि, उसके गांव और आसपास के इलाके और थाने पर सिर्फउसका ही राज चले। पुलिस का दखल मुझे पसंद नहीं था। यह बात विकास ने उज्जैन में भी पूछताछ के दौरान कही थी। बताया कि, सीओ उसे लंगड़ा कहते थे। मेरे क्षेत्र में मुझे ऐसा कोई कैसे कह सकता था। इसलिए सोच रखा था कि, निपटाऊंगा।

अन्य पुलिसकर्मियों का क्यों मारा?

सीओ से चिढ़ थी, अन्य पुलिसकर्मियों का क्या दोष था? जब यह सवाल विकास से किया गया तो उसे पछतावा हुआ। उसने कहा कि, गुस्से में इतना बड़ा कांड हो गया। लेकिन इतनी बड़ी कार्रवाई हो जाएगी, इसका भी अंदाजा नहीं था। उसे लग रहा था कि, उसके 'खासलोग' उसे बचा लेंगे।वह कई बार खुद पुलिसवालों से पूछता कि आगे क्या करने वाले हैं। विकास को लगता था कि पुलिस उसे जेल भेजेगी। इसीलिए वह मुतमईन था कि वह कुद माह या साल भर में जमानत पर जेल से बाहर आ जाएगा।

21 नामजद में से 12 अभी भी फरार

अब तक विकास के करीबी प्रभात, बऊआ, अमर दुबे, प्रेम प्रकाश पांडे, अतुल दुबे का एनकाउंटर हो चुका है। नामजद में 21 आरोपियों में से12अभी भी फरार हैं। वहीं, चौबेपुर के एसओ रहे विनय तिवारी, दरोगा केके शर्मा समेत 12 लोगों की भीगिरफ्तारी हुईहै।

कानपुर के चौबेपुर थाना केबिकरू गांव में 2 जुलाई की रात गैंगस्टर विकास दुबे और उसकी गैंग ने 8 पुलिसवालों की हत्या कर दी थी। अगली सुबह से ही यूपी पुलिस विकास गैंग के सफाए में जुट गई। गुरुवार को उज्जैन के महाकाल मंदिर से सरेंडर के अंदाज में विकास की गिरफ्तारी हुई थी। शुक्रवारसुबह कानपुर से 17 किमी पहले पुलिस ने विकास को एनकाउंटर में मार गिराया।



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यह तस्वीर कानपुर से 17 किमी पहले भौंती की है। इसी जगह विकास दुबे जिस गाड़ी में बैठा था, वह पलट गई। इसके बाद फरार होने के दौरान वह पुलिस की गोली का शिकार हुआ।


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