उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में समाजवादी पार्टी ने किसान एवं श्रमिक विरोधी विधेयक का विरोध करते हुए इसे वापस लेने और राज्य में लागू नहीं करने की मांग राज्यपाल से की है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के निर्देश पर सपा का एक प्रतिनिधिमंडल ने शुक्रवार को कोविड 19 के नियमों का पालन करते हुए शारीरिक दूरी बनाकर अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपकर इसे इस बिल को वापस लेने की मांग की।
जिलाध्यक्ष योगेश चन्द्र यादव एवं महानगर अध्यक्ष सैयद इफ्तेखार हुसैन के नेतृत्व में डीएम को यह ज्ञापन सौंपा गया जिसमें कहा गया है कि केन्द्र एवं प्रदेश की भाजपा सरकारों की नीतियों से किसानों और श्रमिकों को गहरा आघात लगा है। इससे सिर्फ कार्पोरेट घरानों को फायदा होगा। खेती पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी और श्रमिक बंधुआ मजदूर बन कर रह जाएगा।
किसानों की जमीन का मालिकाना हक उद्योगपतियों को देने का आरोप
आरोप लगाया कि भाजपा किसानों से उनका मालिकाना हक छीन कर पूंजीपतियों को देना चाहती है।नए कृषि विधेयक से एम एस पी सुनिश्चित करने वाली मन्डिया ख़त्म हो जाएंगी किसानो को लाभ तो दूर उपज का उचित मूल्य नहीं मिलेगा। आशंका जताई है कि फसलों को आवश्यक वस्तु अधिनियम से बाहर किए जाने से आढ़तियों और बड़े व्यापारियों को किसानों का शोषण करना आसान हो जाएगा।किसान आत्महत्या के लिए मजबूर हो जाएगा।
भाजपा की नीतियां देश के खिलाफ
ज्ञापन में कहा गया कि भाजपा की नीति देश की सम्पदा को निजी क्षेत्रों को सौंप देने की है ।कोरोना आपदा काल लाखों की संख्या में श्रमिकों का पलायन हुआ है । अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 40 करोड़ रोजगार खत्म हो सकते हैं। श्रम मंत्रालय का अनुमान है कि 14.62 लाख की संख्या नौकरी मांगने वालों की है। श्रम कानून में बदलाव के चलते श्रमिकों का शोषण बढ़ेगा। छटनी का भय दिखाकर कर्मचारियों के यूनियन नहीं बनने देंगे जहां बधुवा मजदूरी का चलन बढ़ेगा।
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