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सुरक्षा एजेंसियों का दावा- बेवसाइट बनाकर जातीय व सांप्रदायिक दंगा भड़काने का बनाया था प्लान, डिएक्टीवेट हुई वेबसाइट

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की दलित युवती के साथ गैंगरेप व उसके बाद मौत के बहाने प्रदेश में जातीय व सांप्रदायिक दंगा भड़काने की साजिश का खुलासा हुआ है। यह दावा सुरक्षा एजेंसियों ने किया है। एजेंसियों का दावा है कि रातों-रात जस्टिस फॉर हाथरस नाम से वेबसाइट बनाई गई। सुनियोजित तरीके से वेबसाइट के जरिए मुख्यमंत्री योगी के गलत बयान प्रसारित किए गए। रविवार रात एजेंसियों ने वेबसाइट व इससे जुड़े लोकेशन पर छापेमारी की गई। साथ ही लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। इसमें प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने, अफवाहों और फर्जी सूचनाओं के जरिए अशांति पैदा करने का साजिश रचने जैसी बातें लिखी गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा- जिसे विकास अच्छा नहीं लग रहा, वे लोग दंगा कराना चाहते

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि, जिसे विकास अच्छा नहीं लग रहा, वे लोग देश में और प्रदेश में भी जातीय दंगा, सांप्रदायिक दंगा भड़काना चाहते हैं, इस दंगे की आड़ में विकास रुकेगा। इस दंगे की आड़ में उनकी रोटियां सेंकने के लिए उनको अवसर मिलेगा, इसलिए नए-नए षड्यंत्र करते रहते हैं।

रविवार को आरोपियों के समर्थन में सभा हुई थी।

पीएफआई पर दंगा भड़काने का आरोप
हाथरस में युवती की मौत मामले में सोशल मीडिया पर एक न्यूज चैनल का फर्जी स्क्रीन शॉट तैयार कर मुख्यमंत्री योगी और सरकार को बदनाम करने की साजिश का सनसनीखेज मामला सामने आया है। स्क्रीन शॉट में ब्रेकिंग न्यूज लिखकर मुख्यमंत्री की फोटो के साथ बाकायदा उनका फर्जी बयान जारी किया गया। ये स्क्रीन शॉट वाट्सऐप समेत अन्य सोशल मीडिया के अकाउंट पर शनिवार को तेजी से वायरल किया गया। वहीं एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार ने कहा कि पीएफआई समेत कुछ अन्य संगठन प्रदेश में माहौल बिगाड़ने की लगातार साजिश रचते हैं। इस मामले में उनकी भूमिका की गहनता से जांच की जा रही है।


नरही चौकी प्रभारी भूपेंद्र सिंह ने दर्ज कराया केस

लखनऊ के डीसीपी मध्य सोमेन वर्मा ने बताया कि चौकी प्रभारी नरही भूपेंद्र सिंह की तहरीर पर हजरतगंज कोतवाली में इस संबंध में एफआईआर दर्ज कर आरोपितों की तलाश की जा रही है। इसके लिए पुलिस और साइबर क्राइम सेल की टीमों को लगाया गया है। स्क्रीन शॉट की खबर को संबंधित चैनल की वेबसाइट पर चेक किया गया। न्यूज चैनल ने भी इसका खंडन किया। पुलिस जांच में भी यह पाया गया कि संबंधित स्क्रीन शॉट वाला मैसेज सिर्फ मुख्यमंत्री की छवि धूमिल करने के इरादे से किया गया था, जो पुलिस जांच में भी फर्जी पाया गया। प्रकरण में मुन्ना यादव नामक युवक के अकाउंट से फेसबुक पर सीएम का एक फर्जी बयान पोस्ट किया गया था। इसमें सीएम की फोटो भी लगाई गई थी। इस स्क्रीन शॉट में जातिगत टिप्पणी के साथ एक बड़े न्यूज चैनल का लोगो भी लगा था, जिसकी संबंधित न्यूज चैनल से पुष्टि की गई तो वह फर्जी निकला।

वेबसाइट बनाई गई, उसके बाद बन्द कर दी गई
पुलिस विभाग के अधिकारियों का कहना है कि, साजिश में पीएफआई (पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया) समेत कुछ और संगठनों की भूमिका की भी गहनता से पड़ताल की जा रही है। इस फर्जी पोस्ट से सरकार पर निशाना साधकर हाथरस के बहाने उत्तर प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिश की गई। ऐसी ही फर्जी पोस्ट वायरल कर पीड़िता की जीभ काटने, अंग भंग करने और सामूहिक दुष्कर्म से जुड़ी तमाम अफवाहें उड़ाकर प्रदेश में नफरत फैलाने की कोशिश की गई। ऐसी अफवाहें फैलाने के लिए कई वैरीफाइड सोशल मीडिया अकाउंट का भी जमकर इस्तेमाल किया गया। जांच एजेंसियां वैरीफाइड अकाउंट का भी ब्योरा तैयार कर रही हैं। इंस्पेक्टर हजरतगंज अंजनी कुमार पांडेय ने बताया कि मुन्ना यादव के खिलाफ अफवाह फैलाने, धोखाधड़ी, कूट रचना, सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, कॉपीराइट अधिनियम, सीएम की तस्वीर का गलत प्रयोग करने के साथ-साथ आइटी एक्ट और कॉपीराइट एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।

वेबसाइट को डिएक्टीवेट कर दिया गया है।


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रविवार को सपा कार्यकर्ताओं ने पीड़ित के गांव में हंगामा किया।


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