उत्तर प्रदेश के हाथरस में गैंगरेप का शिकार 19 साल की दलित युवती की मौत के बाद उसे इंसाफ दिलाने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट की चर्चित वकील सीमा कुशवाहा ने ली है। इसके लिए वे फीस नहीं लेंगी। सीमा ने साल 2012 में निर्भया का केस लड़ा था और अंत में चारों दरिंदों को इसी साल 20 मार्च को फांसी दिलवाई थी। ऐसे में पीड़ित परिवार को न्याय मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
परिवार वालों ने वकालतनामा पर साइन किया
वकील सीमा कुशवाहा ने कहा कि पीड़ित परिवार काफी डरा सहमा है। पहले बेटी को मार दिया गया, फिर प्रशासन ने उसे जबरन जला दिया। अब पूरे जातीय गोलबंदी के कारण इलाके में दहशत है। आरोपियों का परिवार साम, दाम, दंड, भेद अपना रहा है। सरकार ने आर्थिक मदद का ऐलान किया और अन्य चीजें दे दी गईं। लेकिन मीडिया में केस बंद होते ही सरकार भूल जाती है। डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह के आने से परिवार में थोड़ी न्याय की उम्मीद जगी है। अभी तक प्रशासन अधिकारियों पर जो कार्रवाई की गई है, वह महज दिखावा है। वर्मा कमेटी की सिफारिशों के अनुसार अधिकारियों पर कार्रवाई करना चाहिए। परिवार ने मुझे अनुमति दी है। वकालतनामा पर साइन कर दिया है।
दिल्ली की निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दिलवाई थी
साल 2012 में दिल्ली में चलती बस में छात्रा के साथ गैंगरेप हुआ था। इस केस में परिवार को न्याय दिलाने में वकील सीमा कुशवाहा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इसी साल 20 मार्च को निर्भया के चारों दोषियों मुकेश सिंह, अक्षय सिंह ठाकुर, पवन कुमार गुप्ता और विनय कुमार शर्मा को फांसी दी गई थी।
क्या है पूरा मामला?
हाथरस जिले के चंदपा इलाके के बूलगढ़ी गांव में 14 सितंबर को 4 लोगों ने 19 साल की लड़की से गैंगरेप किया था। आरोपियों ने लड़की की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी और उसकी जीभ भी काट दी थी। दिल्ली में इलाज के दौरान पीड़ित की मौत हो गई। चारों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। हालांकि, पुलिस का दावा है कि दुष्कर्म नहीं हुआ था।
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