हाथरस गैंगरेप मामले में रोजाना नए मोड़ आ रहे हैं। पहले पुलिस ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट में रेप की पुष्टि नहीं हुई है। अब टेप किए गए फोन कॉल के आधार पर दावा किया गया है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता ने पीड़ित परिवार को बरगलाया और अधिक मुआवजा दिलाने का झांसा दिया।
बीती रात साढ़े तीन बजे मेरे पास एक युवक का फोन आया। वो बहुत घबराया हुआ था। उसने कहा कि जिसका ऑडियो वायरल किया जा रहा है वो मैं हूं हीं और मैं कोई कांग्रेसी कार्यकर्ता नहीं हूं, मैं तो पीड़िता की बुआ का लड़का हूं।
मैं तुरंत उससे मिलने के लिए निकल पड़ी। दिल्ली में रहने वाला ये युवक पीड़िता की सगी बुआ का लड़का है और 28 सितंबर को जब मैं सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता के परिवार से मिलने गई थी तब ये वहीं मौजूद था।
इस युवक का कहना है, 'जिस कॉल का ऑडियो वायरल किया गया है। वो मैंने ही पीड़िता के पिता और अपने मामा को की थी। फोन छोटे भाई ने उठाया। हमारी बातचीत टेप करके अब वायरल कर दी गई है।'
ये कॉल उन्होंने कब और क्यों की थी इस सवाल के जवाब में उसने कहा, 'मैं अपने घर पर दिल्ली में था और न्यूज देख रहा था। मैंने टीवी पर देखा कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी हाथरस पहुंचने वाले हैं। वहां उन्हें गांव में उन्हें कुछ पता नहीं चल पा रहा है। लाइट नहीं आ रही है तो वो टीवी भी नहीं देख पा रहे हैं और ना ही किसी मीडिया वाले से मिल पा रहे हैं। तो मैंने कॉल करके उन्हें बताया कि प्रियंका गांधी और राहुल गांधी आपसे मिलने आ रहे हैं और जो भी बुरा व्यवहार आपके साथ हो रहा है वो उन्हें बताना है। मैंने उनसे कहा कि प्रियंका और राहुल को वो सब बताना है जो परिवार के साथ हो रहा है।'
टीवी चैनलों पर प्रसारित ऑडियो में अपने आपको कांग्रेस का कार्यकर्ता बताए जाने पर उन्होंने कहा, 'मैं किसी पार्टी में नहीं हूं। कांग्रेस में नहीं हूं। मैं तो बस टीवी पर राहुल और प्रियंका के वहां पहुंचने की हेडलाइन देखने के बाद उन्हें इस बारे में बता रहा था, मैंने उनसे यही कहा था कि शासन और प्रशासन जो आपके साथ कर रहा है वो उन्हें बताया जाए।'
ये फोन कॉल उन्होंने क्यों की इस सवाल के जवाब में वो कहते हैं, 'राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के पास कुछ तो पावर है। आम लोगों की वहां कोई बात नहीं सुनी जा रही है। मामा जी इतने डरे हुए हैं कि उनसे बात भी नहीं हो पा रही है। आपने वीडियो में देखा ही होगा कि मेरे भाई कितने डरे हुए हैं। उनकी आवाज तक नहीं निकल पा रही है। मैं उन्हें समझा रहा हूं लेकिन, उन पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा है। अब तो पुलिसवाले सस्पेंड भी हो गए हैं।'
क्या उन्होंने भाई से ये कहा कि 25 लाख रुपए मुआवजा ना लेकर पचास लाख रुपए लें तो इस पर वो कहते हैं, ' सीएम साहब ने उन्हें मुआवजा दिया है। पैसों की तो मैंने कोई बात ही नहीं की है। मैं तो उनसे ये कह रहा हूं कि मुआवजा ना मांगकर इंसाफ मांगे ताकि आगे चलकर किसी भी बेटी के साथ ऐसा ना हो। क्योंकि ये एक बेटी की बात है। क्योंकि पैसा लेने से या मुआवजा लेने से इंसाफ नहीं होगा। जो बेटी हमारा जिंदा थी वो तो अब नहीं रही तो पैसे या नौकरी का या जमीन जायदाद का हम क्या करेंगे। वो तो अपनी दुनिया से चली गई। उसे तो सम्मानजनक अंतिम संस्कार तक नहीं मिला। बिना घरवालों को दिखाए उसे मिट्टी का तेल छिड़ककर जला दिया गया।'
ऑडियो वायरल होने के बाद ये बात तो साफ है कि कॉल किसी ने टेप किए हैं। फोन टेप किए जाने पर इस युवक का कहना था, 'मैंने अपनी आवाज टीवी पर सुनी। क्या हमारा इतना भी अधिकार नहीं बनता कि हम अपने घरवालों से फोन पर ही बात कर सकें। वहां जा नहीं सकते, पुलिस ने रास्ते बंद कर दिए हैं। मीडिया भी वहां नहीं जा सकती है।
बाहर की दुनिया में जो चल रहा है क्या हम उन्हें फोन पर भी नहीं बता सकते। कम से कम हमारा इतना तो अधिकार बनता है कि हम अपने घरवालों से फोन पर ही बात कर लें। मैं उस लड़की का भाई हूं। उसके पिता मेरे मामाजी हैं। वो अनपढ़ हैं, बाहर की दुनिया उन्होंने नहीं देखी है। वो इतने डरे हुए हैं, हर तरह से उनके साथ बुरा व्यवहार हो रहा है।'
फोन कॉल के ऑडियो के वायरल होने के बाद क्या उन्हें डर लग रहा है, इस सवाल पर उनका कहना था, 'मेरा पूरा परिवार डरा हुआ है, घर में पूरी रात कोई सो नहीं सका है। मेरी मां, मेरी भाभी सब जागे रहे। सब डरे हुए हैं कि हमारे बेटे को फंसाया जा रहा है। हम परिवार के लोगों के ही फोन टेप किए जा रहे हैं। क्या मतलब है इसक? 'मेरी माताजी बीमार रहती है। हम हाथरस से उन्हीं के चलते दिल्ली आ गए क्योंकि उन्हें मिनरल वाटर पीना पड़ता है, अपनी बीमारी की वजह से। हम नल का पानी उन्हें नहीं पिला सकते।
वहां हम बाजार से पानी खरीदने जाना चाहते थे तो पुलिस घर से बाहर तक नहीं निकलने दे रही थी। बार-बार प्रशासन तंग कर रहा था कि तुम अब आ गए हो, अब मत आना। देर रात मां कि तबियत खराब हुई तो हम वापस दिल्ली आ गए। दोबारा हमें गांव में दाखिल ही नहीं होने दिया गया।
सरकार से अब वो क्या कहना चाहेंगे इस सवाल पर उन्होंने कहा, 'हमारी मांग यही है कि जो भी शासन-प्रशासन परिवार के साथ दुर्व्यवहार कर रहा है उसे रोका जाए। अधिकारियों को हटाया जाए। परिवार को फ्रीडम दी जाए, घर से बाहर निकलने दिया जाए। जातिवाद के नाम पर, राजनीति के नाम पर जो हो रहा है उसे रोका जाए। वो लड़की जो मरी है, वो भी हिंदुस्तान की बेटी थी। उसे इंसाफ दिया जाए। अभियुक्तों को जल्द से जल्द फांसी दी जाए।'
पीड़िता जब अलीगढ़ के अस्पताल में भर्ती थी तब भी ये युवक उसके साथ था। उसे जब सफदरजंग अस्पताल लाया गया तब ये भी भागदौड़ कर रहा था। वो कहता है, 'मेरे मामा के घर में सब लोग बहुत सीधे हैं। बहन के गैंगरेप के बाद मेरे मामा गहरे सदमे में आ गए थे। उनसे कुछ नहीं हो रहा था। ना उनकी कुछ समझ में आ रहा था। दिल्ली में जब बेटी की मौत हो गई थी तो हमने शाम तक उन्हें बताया तक नहीं था क्योंकि वो बर्दाश्त नहीं कर पाते।'
उसका कहना था, 'प्रशासन उन्हें जबरदस्ती घर से उठाकर योगी जी से बात कराने के लिए ले गया था। मुख्यमंत्री से बात कराए जाने से पहले अधिकारियों ने उन्हें कमरे में बंद करके डराया धमकाया था। तब से ही वो दहशत में हैं। उन्हें मुआवजा नहीं इंसाफ चाहिए।'
टीवी पर प्रसारित रिपोर्टों में दावा किया गया है कि ये युवक मीडिया से मिला हुआ है और परिजनों के पास मीडिया को ले जाने की तैयारी कर रहा है। इस सवाल पर उसने कहा, 'मैं मीडिया में किसी को नहीं जानता। आप ही मुझे सफदरजंग अस्पताल में मिलीं थीं और सबसे पहले आपने ही हमारी बहन के बारे में दैनिक भास्कर में खबर प्रकाशित की थी। भास्कर ने सबसे पहले हमारे मुद्दे को उठाया। मैं अपने भाई के पास आपको ही ले जाने की बात कर रहा था, क्योंकि वो लोग घर में बंद हैं और बहुत डरे हुए हैं और अपनी बात रखना चाहते हैं। मुझे भरोसा था कि आपने जिस तरह पहले रिपोर्टें की हैं, आप इस मुद्दे पर भी रिपोर्ट करतीं।'
पीड़िता के परिवार ने अभी तक कोई वकील नहीं किया है। इस युवक का कहना है कि आज वो निर्भया गैंगरेप मामले में निर्भया की वकील से मिलने जा रहे हैं और परिवार को उम्मीद है कि वो उनका केस ले लेंगी।
भारत में किसी की कॉल टेप करना गैरकानूनी है। एसपी स्तर के अधिकारी की सिफारिश के बाद ही फोन टेप किए जा सकते हैं। ये ऑडियो वायरल होने के बाद ये सवाल उठा है कि परिवार के फोन कौन टेप कर रहा है और ये काम क्यों किया जा रहा है।
यदि ये प्रशासन ने किए हैं तो फिर ऑडियो मीडिया तक कैसे पहुंचे। ये पीड़िता के परिवार की निजता का खुला उल्लंघन है। लेकिन इस प्रकरण में प्रशासन ने जिस तरह का रवैया अपनाया है उसके बाद सवाल उठता है कि प्रशासन को पीड़िता के परिवार की निजता की परवाह है भी या नहीं।
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