उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से फैलता जा रहा है। संक्रमित मरीजों का आंकड़ा दस हजार के करीब पहुंच गया है। इस बीच आगरा में यूपी में सबसे अधिक 900 से अधिक पॉजिटिव मामले सामने आए हैं। ऐसे में यहां 8 जून से धर्मस्थल खोले जाएंग या नहीं इसको लेकर जिला प्रशासन विचार कर रहा है। अधिकारियों का कहना है कि केंद्र सरकार की इस संबंध में जारी गाइडलाइन का भी अध्ययन किया जा रहा है। सात ही जिले में कंटेनमेंट और उनके साथ बफर जोन बढ़ते जाने की स्थिति भी देखी जा रही है।इस पर अंतिम फैसला रविवार को ही लिया जाएगा।
जिलाधिकारी (डीएम) प्रभु एन सिंह ने बताया कि धर्मस्थलों और सामूहिक आयोजनों के बारे में फिलहाल वही स्थिति है जो पहले से चली आ रही है। इसमें परिवर्तन किया जाएगा या नहीं, इस पर निर्णय सात जून को लिया जाएगा। केन्द्र व राज्य सरकार से आठ जून के बाद शर्तों के साथ मंदिर व मॉल खोलने की इजाजत दी है।
उन्होंनेकहा कि सामूहिक रूप से धार्मिक गतिविधियों में सामाजिक दूरी का उल्लंघन होने की संभावना अधिक रहती है। ऐसे में इस पर अभी कोई फैसला नहीं किया है। स्थानीय परिस्थतियों को भांप कर इस संबंध में धर्म गुरुओं के साथ चर्चा की जाएगी। इसके बाद ही कोई निर्णय होगा।
डीएम ने कहा नगर निगम क्षेत्र में बाजार खोलने की अनुमति लोगों की सुविधा के लिए दी गई है। धार्मिक स्थलों के संबंध में पहले एक बार नए सिरे से बफर जोन का निर्धारण होगा। इसके बाद ही धार्मिक गतिविधियों पर फैसला होगा।
एहतियात के साथ धर्मस्थल खोले जाने की मांग
धर्मगुरुओं का कहना है कि धर्मस्थलों को भी एहतियात के साथ खोला जाना चाहिए। लंबे अरसे से धर्मस्थल बंद हैं। ऐसे में श्रद्धालु भी अपने आराध्य के दर्शन करने को लालायित हैं। मस्जिदों में नमाज हो या गुरुद्वारों में शबद कीर्तन। सीमित संख्या में धर्मस्थलों में आवाजाही की अनुमति मिलनी चाहिए। धर्मगुरुओं ने कहा किगिरजाघरों में सिर्फ रविवार को सामूहिक प्रार्थना सभा होती है। सप्ताह के अन्य दिनों में कम ही लोग गिरजाघरों में पहुंचते हैं। रविवार को भी दो या तीन शिफ्टों में प्रार्थना सभाएं हो सकती हैं। यही नियम सभी धर्मस्थलों पर लागू हो सकता है। धर्मस्थलों में सैनिटाइजेशन भी निरंतर होना चाहिए।
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